________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
उत्तरस्थानं भापाटीकासमेतम् । (९७९) मूर्छन्वमन्गद्गदवाग्विमुह्यन्भवेच्च दूष्योदरलिङ्गजुष्टः॥
आमाशयस्थे कफवातरोगी पक्काशयस्थेऽनिलपित्तरोगी॥३५॥ पुरानी और विषको नाशनेवाली औषधियोंसे हतहुआ अथवा दावाग्नि वायु घामसे शोषित अथवा स्वभावसेही सुंदर गुणों से नहीं युक्तहुआ विष दूषीविष नामको प्राप्त होजाता है ॥ ३३ ॥ वीर्यके अल्पभावसे यह अविभाव्यहै, और कफसे आवृत बहुत वर्षांतक ठहरताहै, तिससे पीडित हुआ भिन्नरूप विष्ठा और वर्ण वाला और दुष्टहुये रक्त के रोगवाला तृषा और अरोचकसे पीडित मनुष्य होजाताहै ॥ ३४ ॥ तथा मूर्छाको प्राप्तहुआ और वमन करताहुआ और गद्दवाणीवाला मोहित होताहुआ और दूष्योदरके लक्षणोंसे जुष्टहुआ मनुष्य होजाताहै और आमाशयमें स्थितहुये दूषीविषमें कफ और बातके रोगवाला मनुष्य होजाताहै, और पक्काशयमें स्थितहुये दूषीविषमें वात और पित्तके रोगवाला मनुष्य होजाताहै ।। ३५ ।।
भवेन्नरो ध्वस्तशिरोरुहाङ्गो विलूनपक्षः स यथा विहङ्गः ॥ स्थितं रसादिष्वथवा विचित्रान्करोति धातुप्रभवान्विकारान्॥३६॥ ऐसा पंख और बालोंसे हीन हुए पक्षीकी समान मनुष्य होजाताहै, अथवा रसआदि धातुवोंमें स्थितहुआ दूपीविष धातुसे उपजनेवाले अनेक प्रकारवाले विकारोंको करताहै ॥ ३६ ॥
प्राग्वाताजीर्णशीताभ्रदिवास्वप्नाहिताशनैः॥
दुष्टं दूषयते धातूनतो दृषीविषं स्मृतम् ॥ ३७ ॥ पूर्वका वायु अजीर्ण शीत अर्थात् जाडा बद्दलोंका होना दिनका शयन अहितभोजन इन्होंसे दुष्टहुआ धातुवोंको दूषित करताहै, इस कारणसे दूषीविष कहाताहै ॥ ३७॥
दूषीविषार्त सुस्विन्नमूलं चाधश्च शोधितम् ॥ दृषीविषारिमगदं लेहयेन्मधुना प्लुतम् ॥ ३८॥ दूीविषसे पीडित मनुष्यको अच्छीतरह स्वेदिकर वमन और जुलाबसे शोधितकर शहदसे संयुक्त किये दूषीविपकी शत्रुरूप औषवको चटावै ॥ ३८ ॥
पिप्पल्यो ध्यामकं मांसी रोधमेला सुवर्चिका ॥
कुटन्नटं नतं कुष्ठं यष्टी चन्दनगैरिकम् ॥ ३९ ॥ ... दृषीविषारि नाऽयं न चान्यत्रापि वार्यते ॥ . पीपल रोहिपतृण बालछड लोध इलायची सज्जीखार सोनापाठा तगर कूट मुलहटी चंदन गेरू।। ३॥ ३९ ॥ ये औषध नामसे दूपीविषका शत्रु कहाहै, अन्य स्थानमें यह बारित नहीं कियाजाताहै ।।
विषदिग्धेन विद्वस्तु प्रताम्यति मुहुर्मुहुः ॥ ४०॥ विवर्णभावं भजते विषादं चाशु गच्छति।कीटैरिवावृतं चास्य गात्रं चिमिचिमायते॥४१॥श्रोणिपृष्ठशिरःस्कन्धसन्धयःस्युःसवेदनाः ॥
For Private and Personal Use Only