________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
निवेदन।
॥ २ ॥
तेथी घणा विद्वानोए तथा अमोए पूज्य श्रीउदयमूरिजी महाराजने सुधारी आपवा विनन्ति करी. तेओश्रीने घणाज कार्यो होवाथी वखत न मळवाथी तेमज एकप्रति उपरथी करेल प्रेस कोपी होवाथी सुधारवानी ना पाडी छतां अमोए विनन्ति करी के जेटलुं आपश्रीथी बनी शके तेटलुं सुधारी आपो अने अमारी आ विनन्ति जरुर आप ध्यानमा ल्यो. तेवी प्रबल विनन्ति थवाथी तेओश्रीए हा पाडी अने तेथी अथाग परिश्रम लइने आ अन्थ तेओश्रीए सुधारी आप्यो छे, ते खाते अमो तेओश्रीना ऋणी छीए अने तेओश्रीनो हार्दिक उपकार अमो कदी भूलवाना नथी. अमो तो त्यांसुधी कहीए छीए के आ उपकार केवल अमारा उपरज मात्र नथी परंतु विद्वत्प्रजा उपर पण छे. पूज्य श्रीउदयम्ररिजी महाराजना दर्शन, ज्ञान तथा चरित्रनु स्वरूप समग्र जैन प्रजामा प्रसिद्ध ज छे. जेथी तेनं वर्णन करवू ते मोरना पीछाने चितरवा जेवु छे. आ ग्रन्थनी विषयानुक्रमणिका पण तेओश्रीए करी आपेल छे ते आ साथे दाखल करी छे. आ ग्रन्थ छेवटना भागमा किंचित् अपूर्ण छ जे ग्रन्थना अन्तमा आपेल टिप्पणीथी जणाशे. आ ग्रन्थमा जे कंइ मुद्रादोषथी प्रेसदोषथी अगर सुधारता रहेल दृष्टि दोषथी भूल रही होय ते बाबत क्षमा मांगी तेओने ते सुधारी वांचवा साथे अमोने । जणाववा प्रार्थना करीए छीए के जेथी बीजी आवृत्ति समये ते लक्ष्यमा रहे.
आ ग्रन्थ विद्वानोना हाथमा मूकवा आज अमो भाग्यशाली बनीए छीए ते शासनाधिष्ठायकोनी ज कृपा छे.
आ ग्रन्थ प्रायः भेटमां आपवानो नथी. तेनी कीमतमा आवेला पैसामांथी खर्च बाद करतां जो रकम वधशे तो बीजा जैन शासनना ग्रंथोना प्रकाशनमा ज ते उपयोगमा लेवाशे एज प्रार्थना.
निवेदिका श्रीसंघचरणकमलोपासिका -श्री जैन ग्रन्थप्रकाशक सभा. अमदावाद.
For Private And Personal Use Only