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श्री जिनेन्द्राय नमः
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श्री विजयचन्द्र केवली विरचित
अष्ट प्रकार पजा कथानक। श्री खरतरगच्छाधिपति श्री सुखसागर जी महाराज के वर्तमान पट्टधर मुनि महाराज श्री हरिसागर जी महाराज के आज्ञानुगामिनी श्री भाव श्री जी महाराज की शिष्या साध्वी जी महाराज श्री गुणश्री जी, श्रीफूलश्री जी
कदुपदेश से अजीमगंज निवासी राजा बिसनसिंह जी को धर्मपत्नी, राजा विजयसिंह जी की माता सुकन कुवरी ने निज द्रव्य व्यय करके
कुंवर गजेन्द्रसिंह रघुवंशी द्वारा बीर संवत् २४५४१
राजपूत एंग्लो ओरियण्टल प्रेस, आगरा में छपवा कर विक्रम संवत् १६८४)
र मूल्य सदुपयोग
प्रकाशित किया। yAYANAYAAAAAAAAAAYAN
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