SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुनर्जन्म के कुछ प्रमाण सेवन्तीलाल माणेकलाल-कथित पूर्वजन्म का विवरण लगभग तीन वर्ष की उम्र में ही कोई-कोई नाम सुनकर मुझे ऐसा लगता कि, यह नाम मैंने पहले कभी सुना है और किन्हीं वस्तुओं को देखने पर लगता कि, इसे पहले कभी देखा है। इस प्रकार विचार करतेकरते मुझे ऐसा लगने लगा कि, किसी भव में मुझे पत्नी थी और बच्चे थे। ये विचार मुझे उठ रहे थे कि, एक दिन मेरे पिता ने मुझे ककड़ी का एक टुकड़ा दिया। मैंने उनसे कहा-"मैं तो आपका इकलौता पुत्र हूँ। आप मुझे इतना छोटा-सा टुकड़ा क्यों दे रहे हैं ? पूर्व भव में मुझे ६-६ बच्चे थे; पर मैं तो उन्हें पूरी-पूरी ककड़ी खाने को देता था ।" मेरी बात सुनकर घर में सबको आश्चर्य होने लगा कि, यह नन्हा-सा बच्चा भला क्या कह रहा है ? पर, मेरी बात पर किसी ने अधिक ध्यान नहीं दिया । बाद में मैं कहने लगा-"मैं श्रावक था और मेरा नाम केवलचन्द था । पाटन में मेरा घर था। मेरी तीन पत्नियाँ थीं और मुझे ६ बच्चे थे।" मैं बच्चों का नाम बताता । मुझे ६ लड़के और एक लड़की थी। पूना में मेरी दो दूकानें थीं-एक कपड़े की और दूसरी गोल की। ५६ वर्ष का मेरा आयुष्य था । मेरी तीन पत्नियों में दो पत्नियाँ बहुत अच्छी न थीं; पर एक बड़े शिष्ट स्वभाव की थी। मरने से पूर्व मुझे लकवा लग गया था; अतः मैं लकड़ी लेकर चलता था । ___ मुझे एक बहन थी जो उम्न में मुझसे तीन वर्ष बड़ी थी। वह मेरे घर में काम-काज सँभालनेवाली थी। उसके पति का नाम वीरचंद For Private And Personal Use Only
SR No.020070
Book TitleArhat Dharm Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtivijay Gani, Gyanchandra
PublisherAatmkamal Labdhisuri Jain Gyanmandir
Publication Year
Total Pages82
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy