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का नाश करते
( ५६ ) जैन लोग प्रचुर परिमाण में विस्तृत लोकोपयोगी साहित्य के स्रष्टा हैं।
-प्रो. जोहांस हर्टल पश्चिम के देश हिंसा में इतने अधिक मशगूल हैं कि, मनुष्य-मनुष्य का नाश करते समय भी थोड़ी-सी हिचकिचाहट का अनुभव नहीं करते। इसलिए, जैन-धर्भ एक ऐसा अद्वितीय धर्म है कि, जो प्राणी मात्र की रक्षा करने के लिए क्रियात्मक प्रेरणा देता है। जैन लोग खाने-पीने या चलने में भी दूसरे प्राणियों की रक्षा का ख्याल रखते हैं । मैंने ऐसा दया-भाव किसी दूसरे धर्म में नहीं देखा ।
अमेरिकन महिला ओर्डीकाजेरी (४-२-५३ के दिल्ली के भाषण से)
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