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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आराधनास्वरूप । [ ३९ होजानेपर भी यदि हमारे परिणाम उसकी रक्षाके है तो हिंसा नहीं दया है। (५) ध्यानके बलसे अपनी आत्माका आपमें लीन होजाना दया है । प्रश्न - चार योग याने वेढ़ कौन कौनसे कहते है उसका नाम क्या है ? उत्तर – प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग और द्रव्यानुयोग | प्रश्न - उपर कहे चार योगकी ओलख क्या है ? दोहा । सुदेव सद्गुरूए कह्यां, सदआगम सुनो भेद । हिंसा जीव जहां नहीं, सत्य शौचनो भेड़ प्रथमानु शुभ योगमां, कथा प्रवर्त सार | उत्तम त्रेसठ पुरूषनी, सुणजो तेह मोजार अवर योग उत्तम कह्यो, करणानु अभीधान । कथा अनोपम तेहमां, त्रीलोकसारनुमान निर्मल मुनिवरनी क्रिया, श्रावकनो आचार । त्रतिय योग चरणानुए, सांभळजो निरधार तत्व अर्थ खट द्रव्यसुं, पंचास्तीकाय । द्रव्यानु शुभ योगमां, बोले जिनवरराय देव शास्त्र गुरु सत्य ए, परम पराये जान । वचन विरोध जहां नही, ते शुभ शास्त्र प्रमाण For Private And Personal Use Only ॥ १ ॥ ॥ २ ॥ ॥ ३ ॥ ॥ ४ ॥ ॥ ५ ॥ ॥ ६ ॥
SR No.020069
Book TitleAradhana Swarup
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Harjivandas
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages61
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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