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दिगंबर जैन ।
पंडितपंडितमरणकूं संक्षेपकरि कहूंगा । ऐसें बालपंडितमरणकूं दश
गाथानि वर्णन कीया ||
श्रावकके १७ नियम |
भोजेने पटेरसे पाने, कुंकुमादि विलेपने । पुष्प ताम्बुलगीतेषु नृत्यादि ब्रह्मचर्यके ॥ १ ॥ स्नोनं भूषण वस्त्रेषू वोने शेर्ये नोर्सेने । सचित्तं दिशात्याज्य मेतत् सप्त दशानि च ||२||
जिनमतका मूल सिद्धांत |
अहिंसा परमो धर्मो यतो धर्मस्ततो जयः ।।
प्रश्न - हिंसा किसको कहते है ?
उत्तर – (१) अपने मनमें अपनी आत्माका बुरा व दूसरोंका बुरा विचारना हिंसा है। अपने वचनोंसे दूसरोंके मनको और शरीरको दुख देना हिंसा है। अपने शरीरसे दूसरोंके शरीर को दुख पहुंचाना हिंसा है ।
प्रश्न-दया किसको कहते है ?
उत्तर --- (१) अपनी आत्माको क्रोध मान माया लोभ मोह और कामसे बचाना दया है । (२) दूसरोंके हरप्रकारके दुःखको अपनी शक्तिभर दूर करना दया है । (३) दया परिणामों (भावों) के आधीन है । (४) किसी प्राणीका अपना शरीरसे नाश
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