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मनावण्डुला
प्रतमः लाजा । धारका लाया । मे0 । यव । जौ । (Ba. I (२) धर्मशास्त्र के अनुसार वह भुनभूमी rley) ५० मु०।
.सने पुनर्विवाह तक पुरुष संयोग न किया हो। "लाजेषु त्रिवहिसिते । यवेऽपिक्वचित्" ।
(३) कर्कटगी, काकड़ासींगी । (Rhus मे० तनिक । कोई बिना टूटे हुए चावल को
acumill: tir.) कहते हैं जो देवताओं की पूजा में चढ़ाया अक्षते-चे-खारaksha te-che-khora-अक्षत । जाता है।
| फा० ई। संघिo, हिं०वि० (१) अव्रण । जिसमें अक्षतैलम akshu-tnilan-सं. क्लो. बहेला क्षत या घाव न किया गया हो । (२) अहि सत ।। का तेल. विभीतकल। बयहा बीजेर तेल मे०।
i - (Terroinalia belerici (Oil (३) अखंडित । बिना टूटा हुश्रा । सांग
of-) वा० उ०१३०। पूर्ण । समूचा। शर० ।
अक्ष दण्ड ।ksha.dandaअक्षतण्डुलt akshatandulā-सं० स्त्री० महा । अक्षयरः akshardharth-सं० पु. शाखोट सनंगा क्षुप । रा०नि० च०४।
। अक्षतयानि akshata-yoni-ह. ।
वृक्ष । शेोड़ा गाछ-व। भरि प्र०। (Tro
phis is per2- ) ( कन्या ) जिसका पुरुष से सम्बंध न हुआ हो ।
अक्ष बुर aksihindhiil::-हि. संज्ञा पु० कुमारी । वर्जिन (Virgin.), वजों इन्टैक्टा ।
[6] पहिए की धुरी। ( Virgo-intacta. )-ई। बाकिरह, अज राजदोशोज़ह नाबालिग़हा अ० । दोशी ज़ह | अक्षधूत':,-र्तिलः akshrdhārttah,rtti-फा० । कुँवारी, कुँवारी औरत-हि०, उ०।। 1h-सं० प. वृषभ । बैल । बाल-ब० । ( A
हिं० सज्ञा स्त्रा० (१) बह कन्या जिसका bull, an ox.) हारा०1 पुरुप से संभोग न हुआ हो। (२) वह कन्या प्रक्षन akshana-हि० संत्रा पु. ( Axo. जिसका विवाह हो गया हो पर पति से समागम in.) सेन को जो शाखा नाड़ी बन जाती है न हुमा हो। .
उसे प्रक्षन कहते हैं। प्रक्षतरागःakshata-logah.-सं०पू० उपनख | अक्षपाकः ॥ksha-pākah-सं० १० सच्चन रोग विशेष। .
लवण | (Soclhal sult.) वै० निघ०। लक्षण-वात पित्त कुपित होकर नन के मांस | अक्षपिंडः aksha-pinda th-सं०५० शंखपुष्पी । को पका देते हैं जिससे वेदना और ज्वर पैदा हो ( Andropogon aciculartum.). जाते हैं। इसरोग को चिप्य, अक्षत वा उपनख
निघ। रोग कहते हैं । यथा- "धुर्यास्पित्तानिल' पकं नख |
प्रक्षपाड़: aksha-pidah-सं) पु. (.) मांसे सरुग्ज्वरम्,चिप्यमचत-रोग च विद्यादुपनखं |
.. श्वेत बुहा । श्वेतवुह्वामूल । रसेद्र चि०. च तम् ।"वा० उ०३११० । पाल हाड़ा-बं० ।
अ०। (२) दुरालभा । ( Alhagi ma. क्षतर्वार्य akshata-viryya-हिं० वि०
urorum.) सु० चि०६ 800 [सं०] जिसका वीर्य पात न हुआ हो । जिसने | | अक्षणी(डका)ड़ा akshipidala),-da-सं. स्त्री संसर्ग न किया हो।
स्त्री० (१) काल मेघ । शंखिनी । यधतिक । अक्षता akshata-हिं० वि० [सं०] जिसका ( Andropogon paniculata, Ve. पुरुष से संयोग न हुआ हो ।
४.) रा०नि० २०३। (२) श्वेत वुहा । संज्ञा स्त्री० (१) वह स्त्री जिसका पुरुष । सु०। ए० मु.। से संयोग न हुआ हो ।
| अक्षम: akshamah-सं० पु. (१) स्थूल
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