SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 774
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir असनता जनक ७३३ अवसाता जनक से पैदा होती है। यदि कारण बलवान हो तो स्पर्श शकि सदा के लिए बिदा हो जाती है, अन्यथा वह विकृत वा कम हो जाती है। - अनस्थेसिया (Anesthesia), नाकोंटिज़्म ( Narcotism), नम्बनेस (Numb. ness)-इं० । खद्र, खद्दर, फ्रादुल इह. सास, कलालुल हिस-न० । जवाल हिस-फान हिस का जाते रहना-उ० । नाट-नाकोटिम अवसन्नता की उस कृत्रिम अवस्था को कहते हैं जो किसी अवसन्नताजनक औषध के प्रयोग से कृत्रिम रूप से उपस्थित हो जाती है। श्रवसन्नता जनक avasannatajanak-हि. . :सुभ करनेवाली औषध, वह औषध जो अपने शैत्य, रूक्षता और स्तम्भक गुण के कारण शारीरिक धातुओं तथा: श्रार्द्रता को सांगीभूत कर दे और प्रवियविक स्रोतो को अवरुद्ध कर प्राण वायु के श्रावागमनको रोके और इस प्रकार उन अंगको जड़ीभूत करदे । यथा-साहिफ़ेन, कोकोन प्रभृति । । संज्ञाहर, स्पर्श हारक, स्पर्शाज्ञताजनक, स्पर्शन।। औषध शरीर के जिस अंग पर लगाई जाती है, वह उस स्थल की बोध शक्रि को नष्ट कर देती हे प्रर्थात् उक्र भाग को अवसन्न कर देती है। लोकल अनस्वेटिक म (Local anesthe. ties )-ई. । मुक़ामी मुनहिर, मुक्कामी मुक्ततिकदुल इह सास-अ० । मुकामी हिस्स को ज़ायल करने वाली या सुन्न करने वाली दवा -301 वे निम्न हैंडॉकटरी-काबोलिक एसिड, युकीन, कोकीन का स्वस्थ अन्तःक्षेप, ईधर ( स्प्रे), वेराट्रीन, ईथल नोराइड, मीथत कोराइड (स्प्रे द्वारा) बाह्य शीत (बर्फ), श्राओंफ्राम प्राधेफाम न्य. आय. डा:फॉर्म, ईथर मीथीलेटस, ईथर मैथीं लिक्स, ईथल प्रोमाइदम्, ऐरोमैटिक पाहा ( सुगन्धित तैल), ऐकोईन, एजीपीन, अनस्थेमीन (अवस. खीन), अनस्थिल, थाइमोल (सत अजवाइन), टोपाकोकीन, सबक्युटीन, स्टोवेइन, फेनेाख • कैम्फर (फेमोन तथा कप), क्रोरेटोन, क्रोर · कोकीन हाइड्रो क्रोराहसम्, कोकीनी फेमीलास, लीन, ग्वाएको(किल, मेथीलाज और मेमोक्ष (सत पुदीना ) एवं नर्वसाईडीन, नमीन, नोबोकीन, हालोकोन, हाइड्रोलोराइड, युकीन हाइड्रोनोराइढम्, युग्युफार्म, युहिमबीन, स्टेनो कानि। • आयुर्वेदीय तथा यूनानी अहिफेन, तम्बाकू, शूकरान (कोनापम् ), धत्त र फल, अजवाइन खुरासानी, यजुस्सनम् (बिलाडोना), बीन लुफाह, उक्र हवान (बाचूना भेद), पार्वतीय अजवाइन, भंग, केशर, हमामा, काकनज,बीख जब, कुचिला, इस्वंद, श्वेत कटुकी, काहू, सुलसी, गुलेलाला, पित्तपापड़ा, सोभा, कुन्दुर, लवंग, शाहस रम, शकायत, बच्छनाग, विट्खदिर, धच, कोका, हिंगु, मेषगी (गुगभार), काली कटुकी, जलबोझी, निम्स, जटामांसी, बटुकी और अशोक । (२) सार्वागिक संज्ञाहरजेनरल अनस्थेटिक्स (General anaeg. अनास्थेटिक (Anesthetic), नार्कोटिक (Narcotic)-ई। मुखदिर, मुन्नतिकदुल इह सास, खदिर-अ०। नोट--डॉक्टरी की परिभाषा में अनस्थेटिक्स उन औषधों को कहते हैं जो मस्तिष्क एवं सौषुम्न केन्द्रों पर प्रभाव कर अचेतता एवं निःसंशता उत्पन्न करती हैं। परन्तु यह शब्द अब साधारणतः सुगन्धित व अस्थिर पदार्थों यथा कोरोफॉर्भ, ईथर, मीथिलीन, नाइट्स ाक्साइड गैस ( हास्य जनक पायव्य.) प्रभति के लिए ही प्रत्यक होता है। इसमें ऐलकोहल (मद्यसार ) तथा महिफेन जैसी मादक ( Narcotic) औषधे सम्मिलित नहीं, यद्यपि वे भी स्पर्शाज्ञताजनक है। • इनके दो भेद हैं () स्थानिक संज्ञाहर- इस.प्रकार की For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy