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प्रत्सा
प्रवकर प्रश्सा alsa-फा (१) मरोडफली, पावर्तभो । बलपूर्वक किसी पदार्थ को एक स्थान से दूसरे
(Helicteres isora)। (२) खित्मी स्थान में लेजाना । खींच ले जाना । (Khitmi)। (३) अजवाइन ! Carum अवकादन avikidan-काई ( Moss )। Copticum
(२) फंगस । अथर्व •सू० ३७ । १०। अल्सी का तेल alsi-ka-tela-हिं० पु. अलसी |
का०४। तैल, तीसीका तेल, अतसी तैन । ( Linseed | अवकाश Avakash-हिं. संचा पु० [सं.] oil ).
(1) अवसर, समय, सुभीता । ( opportuअल्ह मजा लू जावो alhamzul-javi-१० nity) विश्रामकाल, वाली वक्र, छुट्टी, फुर्सत |
तेज़ाब लुबान, लोबान का फूल, लोयानिकारत । ( Leisure | ( ३ ) स्थान, जगह, (Acidum benzoicum ).
( space.)। (४) आकाश, अंतरिक्ष, अल हलो वल्मुरं alhulo-valmurra- १०
शून्य स्थान । (५) दूरी, अंतर । फासिला । काकमाची--सं० । मकोय--हिं० । ( Dulcam.
अत्रकिरण avakirana-हि. संशा पु० [सं०] ara)
[वि० अचकीर्ण, अवकृष्ट] बिखेरना । फैलाना ।
छितराना। श्रल्हाज alhaja... य(ज)वासा --हि.।
अवकीर्ण irakirna-हिं० वि० [सं०] (1) दुरालभा, गिरिकणिका, यवास. सं. (Alha . gi malurorum, Dist.) मेमा०।।
___ फैलाया हुआ | छितराया हुआ । बिखेरा हुआ।
(२)वत । नष्ट किया हुआ । नष्ट । अल हब्बातुल खिजुराal-hubbatul khizra
(३) चूर्ण, चूर चूर किया हुआ । अलहब्बतिस्सौदा al-habbatissoud
संझा प ब्रह्मचर्य का नाश | ब्रह्मचारी का - अ. कालाजीरा, मैंगरैल--हिं०, बौं । कलौंजी ।
स्त्री. संसर्ग द्वारा बतभंग। --अम्ब०। (Nigella sittiva, Sibthorp.) अवकीर्ण avkiina-हिं० वि० [सं०] वह अवश avanshu-हिं० वि० [सं०] वंशहीन, ब्रह्मचारी जिसका ब्रह्मचर्य प्रत भंग होगया हो। निघूता , अपुत्र, निःसंतान ।
नष्ट-ब्रह्मचर्य । अव ava-उप० [सं०] एक उपसर्ग है । यह अवकुञ्चन avarkunchan-हिं० संज्ञा पु...
जिस शब्द में लगता है उसमें निम्न लिखित [सं०] समेटना । बटोरना। टेदा करना। अर्थों की योजना करता है--(१) निश्चय; | अबकुण्ठन avaktinghal--हिं० पु.. साहस जैसे--अवधारण । (२) अनादरः जैसे-अवज्ञा, परित्याग, भीरु होना । श्रवमान । (३) ईषत, न्यूनता या कमी; जैसे- अबकुन्धनम् avakunthun am--सं. पली. अबहुनन । अवघात। (४) निचाई बा गहराई | भार्तनाद । जैसे-अवतार । अवक्षेप । (५) न्याप्ति; जैसे- अवकुशः avakushab-सं० पु. गोलाङ गूल अवकाश । अवगाहन ।
धानर । यह पर्णमृग की जाति से है। सु० सू० अव्य० [सं० अपि ,प्रा० अपि ] भौर। । ४६ अ० । अबकरः avakarah-सं०० सम्मानादिअवकूलनम् avakulanain-सं० क्ली. अग्नि निक्षिप्त धूल्यादि ।
द्वारा गरम करना, पाग पर गरमाना । च०६० पर्याय–सङ्करः (१०),
अतिसा-चि० । “अङ्गारेवकल येत् ।" सु० अवस्करः,
अतिसा-चि० (अटी.), सङ्कारः (शब्द र०)।
. अघकृष्ट avakrishta-हिं . वि० [सं०] (१ दूर अपकर्षण avakarshana-हिं० संज्ञा पुं० किया हुआ | निकाला हुा । (२) निगलिप्त ।
[सं०] उदार, निष्कर्ष ण, बाहर खींचना । नीचे उतारा हुआ ।
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