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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अजमह चौर वैद्यक ग्रंथ यूनानी व लेटिन तथा इमानी, अपकः alpakah - सं० पु० अल्पक alpaka-हिं० संज्ञा पुं० भाषाओं में अनूदित हुए हैं। मिश्र में आपने जग के सम्बन्ध में प्रत्युत्तम अनुसंधान किए थे । (१) अजिज़्ज़ारहू ( Algizar ) ' ( २ ) अलग जिरह | (Algazirah ) अल जमरह aljamaral:- o (Anthrax) देखो - ऐथ क्स । अल्जावी aljavi - शु० जात्री | देवधूप, लोबान, राजराज | Benzoin ( Benzoinum ) म० अ० डॉ० । ! जो जुल्मुकईaljouzul-muqai-० अ रानी, कातिलुल्ल्य । कुमिला, विष मुष्टि-हिं० । (Nux vomica) ७१३ अल्टम् altorcum - ले० अजवाइन खुरासानी, पारसीक यमानी | (Hyocyamus niger) फा० ई० २ भा० । i अल्ट्रा वायलेटरेज़ ultra-violet-rays-इं० प्रकाश जिसकी लहरें हमको दृष्टिगोचर नहीं होतीं । इनके त्वचा पर असर पड़ने से हमारे शरीर में स्वायोज ४ बनता है । देखो-खाद्यज । अस्तमाकुन altamaqun यु० जावित्री । (Mace ) अल्तु alta - ० जिसके दाँत गिर कर केवल जड़ें शेष रह गई हो । अल्तुस्त altusta - मीग्रहे साइलहू प्रसिद्ध । सि (शि) लारस । (Styrax preparatus). अल्द ānlda - श्र० ( १ ) ग्रीवा की नाही, मैत्र बोध तन्तु ( Cervical uerve.) । ( २ ) कठोरता | सख्ती । ( Hardness ) अश्नगुल alnaghia - एक बूटी जो विषखपरा के समान होती है । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir यास तुप । जवास का पौधा । दुरालभा । ( Albagi maurorain.) रा० । - वि० [सं०] थोड़ा, कम । अल्पकेशिका alpakoshika अल्प फेशी alpakeshi अल्पतनुः } भूतकेशी, भूतकेश ( Corydalis govoniana ) । चामर कषा - बं० । प० मु० । २० मा० । रत्ना० अल्पगन्धम् alpa-gandham-सं० क्लो० अपगंध alpa-gandha - हिं० संत्रा पुं० (१) रक्त कमल । ( 'The red lotus.) ० निघ० । (२) र कैरव, रक्त कुमुदनी, लाल कूँ हूँ । अल्पगोधूमः alpa godhúmah - सं० पुं० गोधूम । प० मु० । मद० ० १० । ( 'Trina godhúna. ! - सं० स्त्री० अल्प घटिका alpa chantika - सं०ली० हस्त्र शण पुष्पी, लघु शण वृक्ष | सन - हिं० । लघु शण गाइ-बं० । लघुताग मह० । (Crotalaria juncea . ) 15 ′′ अल्पजीवी alpa-jivi - हिं० वि० [सं० अल्पजीविनू ] थोड़ा जीने वाला। जिसकी आयु कम हो । अल्पायु | For Private and Personal Use Only अल्प ज्वराङ्कुशोरस: alpa-jvaráukuşhorasah - सं० पु० पास, मीठा तेलिया, गन्धक प्रत्येक १-१ भा० धत्तूरबीज: ३ भा०, त्रिकुटा १२ भा० सबका महीन चूर्ण कर रक्खें जम्भीरी या अदरख के रस के साथ इसके सेवन करने से हर प्रकार के ज्वरों का नाश होता है । भै० ० ज्वरे । f अनीयून alniyun - यु० रासन | ( Inula helenium) इं० हैं० गा० । अल्प alpa - हिं० वि० [सं०] थोड़ा, किञ्चित् कुछ कम, न्यून ( Little, few )। ( २ ) छोटा | (small, short.) अल्पम् alpam - मल० ( Bragantia wal- अस्पतक्षुः alpa-tanuh-सं० श्रि० खर्व्वं । lichii. ) अम० । कुब्जक । श्रल्पचेष्टावन्त alpa-cheshtá-vanta-सं० पुं० ( Amphiarthrodial ) वह जिस में थोड़ी ही गति संभव हो ।
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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