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अलायन्नम् ।
अलाबू यन्त्रम् alabu yantram-सं० क्ली० | यन्त्र विशेष । तुबी।
लक्षण-तुम्बी यंत्र १२ अंगुल मोटा होता है। इसका मुख गोलाकार तीन वा चार अंगुल्ल चौड़ा होता है। इसके बीच में जलती हई बत्ती रखकर रोग को जगह लगा देने से दूषित रलेष्मा
और रक खिच पाता है। अत्रि० । बा०. सू०
प्र०२३। अलाम āalam-अ० मेंहनी (हिना)। Myrtus |
Communis. . अलामत aalamat-१० (हिं. संज्ञा पु.)
(५० व०), अलामात (ब०व०)। इसका शाब्दिक अर्थ लक्षण, चिह्न, लिंग प्रादि है (विस्तार के लिए देखो-लक्षण)। तिब की परिभाषा में वह वस्तु जिसके द्वारा किसी शारीरिक दशा अर्थात् स्वास्थ्य वा रोगमें से किसी अवस्था पर दलील पकड़ी जाए. अर्थात् जिसके द्वारा स्वास्थ्य वा रोग लक्षित हो । सिम्प्टम् (Symptom), साइन ( Sign), इण्डिकेशन ( Indication)-इ'।
तिब्बी नोट-अलामत अर्थात् लक्षण से कभी भूतकालीन ( भूतकाल में उपस्थित हुई) दशा का पता चलता है, जैसे-नदावतुल बदन (शरीर की तरी) तथा नाड़ी की निर्बलता एवं शिथिलता से वैद्य को इस बात का बोध होता है कि रोगी को इससे पूर्व स्वेद पा चुका है। ऐसी अलामत या लक्षण को अलामत नुज़ाकिरह अधात किसी गत घटना की द्योतक अलामत कहा जाता है। इससे वैद्य को बहुत लाभ होता है अर्थात् उन्न. अलामत के द्वारा रोगी के गत शारीरावस्था के बतलाने से उसकी छठ विद्वता एवं क्रिया कुशलता लक्षत होती है। (२) कभी अलामत से वर्तमान कालीन अवस्था का पता चलता है, जैसे-उष्ण स्पर्श द्वारा ज्वर की। उपस्थिति का पता चलता है। ऐसे लक्षण को सिबमें "दा" या 'पलामत दालह' कहते हैं। . और चूंकि स्पोमा रोगोको वर्तमान ज्वरावस्था । का पता देकर उसका ध्यान चिकित्सा की ओर
माकर्षित करती है, इसलिए ऐसे लपण से |
अधिकतर रोगी लाभ उठाता है। (३) और कभी सलामत भविष्यकालीन घटना की परिचायक होती है । उदाहरणतः-निम्न श्रोष्ठ का स्पंदित होना इस बात का सूचक है कि धमन होगा। ऐसे ल रुण को तिव में तब्दुमुल्मरह, या साधि कुलहरूम अर्थात् पूर्वरूप के नाम से अभिहित करते हैं। ऐसे लक्षण से चिकित्सक व रोगी दोनों को लम होता है। वैध का ऐसे लक्षण को देखकर भविष्य में आने वाली घटना से रोगी को सूचित करना उसके हृदय में वैद्य की उच्चकोटि की योग्यता व चिकित्सा-कौशला स्थान पाता है । और स्वयं रोगी चूँ कि वैद्य में प्रादेशा. नुसार उक्र रोग की चिकित्सा व उपाय से परिचित हो जाता है। इस कारण रोगी भी ऐसे लक्षण से लाभान्वित होता है।
अलामत ओर अर्ज का भेद-(देखो अज़)
अलामत और दलोल का भेद-अलामत अर्थात् लक्षण कभी माल हुल अलामत (जिसका वह लक्षण है ) के साथ पाया जाता है और कभी नहीं। इसके विरुद्ध दलील (लक्षण) अपने मद्ल ल (लक्ष्य ) के साथ अवश्य हुआ करता है । इनमें से प्रथम का उदाहरण मेघ व वृष्टि है। यह बात स्पष्ट है कि मेघ कभी बिना वृष्टि के भी होता है। और द्वितीय का उदाहरण अग्नि व धूम है। क्योंकि धूम सदा अग्निके साथ पाया जाताहै। तिब के दृष्टिकोण से दलील तथा अलामत में मुख्यभेद यह है कि दलील केवल रोग के लक्षण के लिए प्रयोग में पाता है और अलामत साधारण है जो रोग एवं स्वास्थ्य प्रति दो लक्षणों के लिए बोली जाती है।
डॉक्टरी नोट-सिम्पटम् का शाब्दिक अर्थ "परस्पर घटित होना" है। डॉक्टरी परिभाषा में उस परिवर्तन के लिए बोला जाता है जो रोग क्रम में उपस्थित होता है जिससे उक रोग के विद्यः मान होने की सूचना मिलती है। इस विचार से सिम्प्टम् बलामत का वर्षाय है। परन्तु भवा
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