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अलम्बुषायचूर्णम वेदना, स्वचा का दर्द । टर्माटैल्जिया ( Derm- पर्याय-खरस्वक्, मेदा, गला । .. atalgia.)-501
गुण-मधुर, लघु, कृमि तथा.फफ पिस नाश मलम् जो alam-zou-अ० रश्मिशूल, प्रकाशमान् | करने वाली है । भा० पू० १ भा० गु० व० ।
या चमकदार वस्तु के देखने का दर्द । फोटैस्जिया अलम्युषा स्वरस को २ पल की मात्रा में पीने से (Photalgia.) ई० ।
अपची, गण्डमाला तथा कामला नष्ट होता है। अलम् नुखा alam-nukhaa-अ० सुषुम्ना (२) भूकदम्ब । कुशिमेव | See-.
शूल, सौषुम्नस्थ वेदना । माइऐल्जिया(Myal- bhukadamba. (३) महा श्रावणी, gia. )-io |
गोरक्षमुण्डी । गोरखमुण्डी, मुण्डी । बड़ थुलकुड़ि अलम् फकरात alam-fagarata-अ० कशे- -10 (Sphoranthus Indica) to
रुका शूल, काशेरुकीय वेदना । स्पॉण्डिऐल्जिया नि०५०५। 4. निघ०२ भा० वा० व्या० (spondialkia.)-इं० ।
पड़शीति-गुग्गुल और यूपणादि लौह । (४) अलम् यत्त alam-batna-अ० उदरशूल, लौह मल, मण्डूर । ( Ferri peroxidपेट का दर्द । सेलिऐल्जिया (Celial gia.) Lum.) च. ६०१ भा० श्रामवात अल
म्बुषादि चूर्ण। अलम् बलऊ.म alam-balāuma-अ. कंठ | अलम्बुषादिचूर्णम् alambushadi-churna शूल, हुलक का दर्द। फेरिंगऐल्जिया ( Pha- |
m-सं० क्ली० हङ्क १ भा०, बहेड़ा २ भा०, ryngalgia)-इं०।।
श्रामला ३ भा०, गोरखमुण्डी : भा०, वरुणमूले अलम्ब मुष्ककः alamba-mushkakab-सं० १ भा०, गिलोय १ भा०, सोंड १ भा०, इनको
पु. मुष्कक वृत्त । मोषा-हिं० । घण्टापारुलं । लेकर चूर्ण करें। -बं० । ( Schre berin swictenioi. गुण-प्रामवातको दूर करता है। des.)
मात्रा-१ कर्ष (२ तां०)। मो० म०ख० अलम्बा alamba-सं० स्त्री० तिकालाबु, स्थावर प्रा. वा. चि.।
विषान्तर्गत पत्रविपतितलौकी । तित् लाइ-बं०। अलम्बुषाद्यचूर्णम् alambushalyachār
सु० कल्प० २ अ० । देखो-पत्रविषम् । nam.-सं०क्ली०(१)अलन्छुपा (पानीका लजालू) अलम्बुजा alainbuja-स. स्त्री० गोरक्षमुण्डी,
१ भाग, गोखरू २ भाग, त्रिफला ३ भाग, सोंठ गोरम्ब मुगदी । (spheranthus Indi
४ भाग, गिलोय ५ भाग, निसोथ सर्व तुल्यः cus, liun.) वै० नि ।
ग्रहण कर उत्तम चूर्ण प्रस्तुत करें। प्रलम्बुदम alanabudam-सं० को० बालक,
मात्रा-४-१० मा०। . हीवेर ( Paronian odorata.) । बाला अनुपान-दही का पानी, तक, मद्य, काँजी,
-०। वै० निध० क्षय० चि० शिवगुटो। उरण जल । अलम्बुषः alambushah-सं० पु. (१) गुण प्रामवात, रक्रपित्त, त्रिकवेदना, जानुगत
वान्ति रोग, वमन, उलटी, छर्दि, कै । ( Vom- वात, उरुगत वात, सन्धिवात, ज्वर, अरोचक iting. ) मे० षचतुष्क । (२) भूकदम्ब । इसके सेवन से दूर होते हैं। व..ले. सं. कशिया गाछ-बार०मा०रत्ना।
आमवा. चि। मलम्बुषा,-सा alambusha-sa-सं. स्त्री० (२) अलम्बुपा, गोखरू, गिलोय, विधारा, पीपल,
(1) लज्जा लुका भेद । (A sort of sens- 1 निसोथ, नागरमोथा, बरना की छाल, पुनर्नवा, itive plant.)। फुल शोला--बं० । लजा | त्रिफला, सौंठ तुल्य भाग । इनका चूर्ण कर सेवन वती, छुईमुई, लजाल पौधा ।
करने से उक्त व्याधियाँ दूर होती हैं।
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