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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मायु दान अर्फियह aad fiyah-अ० मारता । दोषों के कारण उत्पन्न होनी है। इसमें दई नहीं श्रतह, yatulh-अ. (व. य.), रबात होता, इसे अचुद कहने हैं। जब यह वम के (१०व०) बंधनी । लिगेमेण्ट्स Ligaine- बाहर होती है तब यह चलायमान और विषम ints )-ई । प्राकृति वाली होती है । जैसेअबह arrhthri-सिरि० संभालजीज । Vi. : वामान्तमा सपिगडाभः श्वयथुग्रंथितो मजः। tex nginto (Seels of-) साःम्यादबुदो दोषिमावाहनश्चलः ॥ अतिर्रिहम arbita timriha - वा० उ०१०-। जरायु । (७) अस्थि का उभरा हुआ भाग। ( Pro बंधनिया, गर्भाशय के बंधन जो उसको एक । दूसरे से संलग्न रखते हैं । लिगेमेण्ट्स ऑफ दी । tuberance.) बूटरस ( Ligatunts of the Utor : (८) रक के प्रकोप से तालु के बीच में पद्म Tus.)-इं। के आकार के समान जो सूजन होती है उसे "अर्बुद' कहते हैं। वा० भ० सं० प्र.२१ । अर्चिततुल मसान: arbitatil musarahi -अ०. वस्तिबंधन, मूत्राशय के बंधन । लिगे। अबु दम् builam-सं० क्ली0 (1) (Tuberमेण्ट्स अॉफ दी ब्लैडर ( Ligaments of cle ) उभार। (२) अर्बुद फोड़ा विशेष the blacier. )-'01 (Tumour) अर्बुद फलम् arbinda.phalam-सं० क्ल अर्षियानुस arbiyanus-पू० बाबूनहे गावचश्म | मलूक का फल । यह एक भारतीय वृक्ष है। -फा० । फर्नानियून-यू० । पार्थीनिअम ( Pa | रसः arbuda-haro-tasah-संग ___rthenium ), मैटिकेरिया Matrica पु० दे०-अन्वुद हरो रसः। ria-ले० । म.प्र.डॉ.। अर्बुदान्तर सरिस्का arbudantara-sariश्री aurbi-अ० सफ़ेद यव ( White bari. . i tká-po ato (Intertubercular.) ___ey )। (२) सुल्त । अबूतानून arbu tānāma-न. एक बूटी है जो अर्बु (व) ur bu(ru)dah-सं० पु०, क्ली पृथ्वी पर फैलती है। यह जंगली तुलसी के अर्बुद arbnda-हिं. संज्ञा पु. समान किन्तु उससे छोटी और नर, मादा दो (1) गणिन में नवें स्थान की संख्या । दश प्रकार की होती है। कोटि । दस करोड़ । अोर कॉन्सिलि भोरम् arbor concilior(२) कद्रु का पुत्र, एक सर्प विशेष। ___um, Ram.-ले० पीपल, अश्वत्थ 1 (Ficus (३) मेघ । बादल । religiosa.) फा०ई०३ भा० । (४)दो मास को गर्भ । अर्बोर टॉक्सिकेरिया फेमिना urbor toxica(१)एक रोग जिसमें शरीरमें एकप्रकारकी गाठ : ria femina & Mas-ले० सापसुण्डी -मह। फा. ई०३ भा० । कभीकभी यह पक भी जाती है । इसके कई भेद है ' अोर वाइटी arbor vitixn-० ( Thuya. जिनमें से मुख्य रक्तात्रु'द और मांसावुद हैं। ___occidentalis )-ले० सन्द्रच । बतौरी । रसौली । ( Tumour )अटीन abutin-ई. रीछदाख सत्य, भवक सु०नि०१.०मा०नि० दे० प्रवुद। दादासार । (६) नेत्र वर्म गत रोग विशेष । यह मांस । __ मात्रा-५ से ३० ग्रेन | देखो-भल्लूक के पिंड के समान एक गाँउदार सूजन है जो वर्म (छ) द्राक्षा( Arctostaphylos uvaके भीतर होती है। यह रज तथा वातादि नीनों ursi) पी०वी० एम०। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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