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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अमलवेद ५४३ प्रशमन करता, (७) यावगाला की वायु को अम्लस amlas-गन्द्रोक-बं० । गंधक श्रामलालाभकरता और (८) उदरशूल को लाभप्रदान सार । See..gandhaka. करता है, (१) यदि अजवायन खुरासानी को | अम्लसरा amla-sara-सं० स्त्री० नागवल्ली सेंधानमक के साथ सात बार इसके अर्क में तर भेद, पान । (A sort of betel-leaf) करके सुखा ले तो प्रायः वातज तथा उदरीय रा०नि०व०६। व्याधियों को लामप्रद है और इसका चरन अम्लसारः amla-sarah-सं. पु. सम्मिलित करना और भी गुण दायक है, (१०) अम्लसार ama-sara-हिं० संत्रा पु. ) लवंग, काली मरिच, लवण, अजवायन और अम्ल वेतस, अमल बेत । ( Rimex vesiअदरक को कूटकर इसमें छिद्रकर भर दें और carius) रा०नि० व०६ । (२) निम्बुक, सूर्यतापमें रखें । दो चार दिन तक उसे लकड़ी से नीबू । ( Citrus medicil) रा०नि०व० चलाते रहें। सूख जाने पर इसको चण कर रखें। "। (३ ) हिन्ताल (Hintāla) रा. इसके सेवन से यह नुधा की वृद्धिकर्ता, श्राहार नि०व० । (४) चूक, चुक्र । (५) श्रामलासार का पाचनकर्ता और नीहा को लाभ करता है।। गंधक। म. मु० । बु० मु.। | अम्लसारं,-कन्amla-saram,-kam-लं... अम्लवेद amlaveda-हिं० पु. अम्लचेत। अम्लसार amla-sāra-हिं. संचा पुं० ) See-amlaveta काँजी । काजिक । चुक नामक काजिक भेछ । अम्लवेदसः aanla-vedasah-सं० पु. घुक्र। रा०नि० १०५ | See-kanjika. चुक-हिं०,०, २०। Secr-chukra अम्लस्कंधः amla-skandhah-सं० . अम्लशाकम् amla-shakani-सं० क्ली० (१) अम्लरसाबित द्रव्य समूह अर्थात् अम्बवर्ग की वृक्षाम्ल, तिन्तिी -हिं० । तेतुल-बं०। रा० श्रोपधियाँ । वे निम्न हैं-(1) आमला, (२) नि० व. ६ 1 -4. (२) चुक्र नामक पत्र इमली, (३) बिजौरा, (४) अम्लवेत, (१) शाक, चका -हिं । अम्ल कुचाइ, कट पालङ्, श्रनार, (६) चाँदी, (७) तक्र, (८) चूका, चुका पाल-बं० । (६) पारेवत, (१०) दही, (११) प्राम, संस्कृत पाय-शाकारलं, शुक्राम्लः, (१२) अम्बाड़ा, (१३) भव्य, (१४) अम्लचूक्रिका, चिञ्चाम्लं, अग्ल चूदः, चिञ्चासारः । कैथ और (१५) करौंदा । इनके सिवा कोशाम्र, गुण-अत्यंत खट्टा, वातनाशक, दाह तथा लकुच, कुबल, झाड़ी बेर, बड़ा बेर, दही का तोड़ कफनाशक है । शर्करा के साथ मिलाकर सेवन श्रादि द्रव्य अन्य ग्रन्थकारों के मतानुसार अम्लकरने से यह दाह, पित्त, तथा कफनाशक है। वर्ग की ओषधियों के साथ वर्णित हैं । वा० सू० रा०नि० २०७।। १० अ० श्लो०२६ । अम्लशाकाख्यम् amla-shākākhyam-सं• अम्ल स्तम्भनिका amla-stambbanika-सं. क्ली चुक नामक पत्र शाक, चका | थोर चुका स्त्रो० तिन्तिड़ी, अमली, अम्लिका (Tamari -मह. 1 ( Rumex Acetisella). रा० n dus Indica.) वै० निघः । . नि० २०७। अम्लहरिद्रा ainla-haridra सं० स्त्री० (१) अम्लष्टर amlashca-सं०स्त्री० चांगेरी | धोती शठी, कचर। (Cureuma zedoaria) -मह। (Oxalis corniculata). रा०नि० व०६। (२) अम्माहलदी, भाँयाअम्लस amlas-अ० समधरातल, सादा, हमवार, हलदा, पानहरिद्रा। (Curcumaamada). चिकना, वह वस्तु जिसका धरातल सम तथा अस्ला amā-सं० स्त्री०(१)चांगेरी। आम. चिकण हो । सॉफ़ (Soft)-ई० रूल-बं०। (Oxalis Corniculata.) For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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