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अम्बरबेद
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अम्बल
रोधोद्घाटक तथा उदरीय कृमिघ्न व कृमिनिः यह रक शोधक और बिच्छू के विष को दूर सारक है । यौन स्याह ( Blacle jaun. ___ करने वाला है। म. मु०। dice ) तथा जलोदर के लिए गुणदायक हैं; अम्बरबेल ambarbel-६० अर्कपुप्पी, बनबेरी परन्तु प्रामाशय तथा शिर के लिए हानिकर हैं। - सिंगरोटा-६०, बम्ब०। ( Penta. (नफो०)
tropis spiralis.) मेमो०। रोध उद्घाटक, मूल, कृमिघ्न और बल्य अम्बर मारaambar-maia-फा० है।( Diosc. iii.. 115; Pliny., 21, अम्बर साइल aam balsail- अ० 60,84)
शिलारसः, सिलकः-सं० । मिहे साइलह अरब निवासी इसको ज्वर-विकारों में प्रयुक्त
-फा० । Liquidam ber (Stylax करते हैं। २॥ तो उन ओषधि को रात्रिभर ठंडे
preparatus.) जल में भिगोकर प्रातः काल उसको छानकर
अम्बर सुगन्धः ambar-sugandhah-सं. सेवन करते हैं। बाल घर में उक्र ओषधि की
पु० मश्क अम्बर, अम्बर । (Amber शरीर में धूनी देते हैं। फा० इं०३ भा०।।
Grsea.) स्वाद ... तिक। गंघ--तीघ्र ।
| अम्बरहा ambatha-मास्नु बन्ती । लु० २० ।
अम्बरा aimbala-सं० स्त्री० कपास, कार्पास । हानिकर्ता-शरः शूलोत्पादक तथा प्रामा- | शय हानिकर है। दर्पघ्न-हमामा आवश्यकता
(Gossypium indicum.) नुसार और सदं तर वस्तु | किसी किसी के मतसे
| अम्बग ambara-सं० स्त्री० श्राम | (Ma. कश्नीज़ (धान्यक )। प्रतिनिध--पार्वती ।
ngo.) पुदीना, शेह, अनार मूलत्वक् और तज । शर्बत !
अम्बराक्षी-चो ambarakshi,-chi-सं०ी . की मात्रा-४ मा० से १०॥ मा0 तक।
अज्ञात। प्रधानगुरण---बुद्धि वर्द्धक, रोधोदघाटक और अम्बरातकः, राय: ambalatakah,-livah मुत्र एवं प्रार्त्तवप्रवर्तक ।
-सं०पु० अमड़ा, पानातक । (Spondias
Mangifera.) जटा०1 गुण, कर्म, योग-समें रेचन तथा |... तिर्याक की शक्रि है। यह सम्पूर्ण अवयव के ।
अम्बरि,रीषः ambri,rishah-सं०पु,को०) रोध का उदघारक, अखलात ( दोषों को दावी !
अम्बरीष ambarisha-हिं० संशा पुं , भूत-कर्ता और मूत्र तथा पार्तव का प्रवर्तक है।
(१) अमड़ा, आम्रातक । (Spondias इसका क्वाथ बुद्धिको तीब्र करता है और विस्मृति ;
Mangifera.) (२) भर्जन पात्र ।
वह मिट्टी का वर्तन जिसमें भड़भूजा गरम बालू को दूर करता है तथा इस्तिस्का बारिद
ढालकर दाना भूनते हैं। अम०। (३) भाड़। (शीत जलोदर), यौन स्याह ( Black
(४) सूर्यका नाम । (५) किशोर अर्थात् Jaundice.) एवं श्लेष्मा व वातजन्य ज्वरों को लाभप्रद है। उदरस्थ कृमि निःसारक वायु- !
ग्यारह वर्ष से छोटा बालक । (६) अनुताप ।
पश्चात्ताप । लयकर्ता, मूत्ररोध तथा संधिशूल को लाभप्रद । एवं गर्भाशयशोधक और प्लीहा के शोथ का लय अम्बरी ambari-गारो० श्रामला । (Phylla. कर्ता है । इसका अवचूर्ण न व्रणपूरक है। नवीन nthus Emblica.) पत्तों का प्रलेपत्रण को स्वच्छकर्ता एवं पूरणकर्ता | अम्बरीसक ambarisak-हि.संज्ञा सं० है। इसकी धूनी विषैले जानवरों को भगाती है। अम्बरीष ] भाइ । भरसायँ । -डे । मधु के साथ इसका अंजन करने से दृष्टि तीव्र : अम्बल ambai-हिं. स्त्रो० (१) मादक वस्तु होती है। म.अ.1 तुह फ़ा।
(Intoxication.)। (२) खट्टा रस ।
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