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अमोनिया
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रखनी चाहिए कि अमोनिया सूत्र की अम्लता को बढ़ाता है ।
उत्सर्ग- शरीर से श्वासोच्छ्वास, वायुप्रणालीस्थ स्राव, मूत्र व स्वेद द्वारा अमोनिया उत्सर्जित होता है ।
अमोनिया द्वारा विषाक्तता
यदि अमोनिया के तीव्र विलयन की एक बड़ी मात्रा पान कर ली जाए तो स्वरयंत्र (Glottig) के आक्षेपग्रस्त होने से श्वासावरोध होकर किंचित् काल में ही मृत्यु उपस्थित होसकती है । श्रन्यथा भक्षक वा दाहक क्षारीय विषों यथा दाहक सोडा ( Caustic soda ) या पोटास प्रभृति के समान लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं ।
श्रगद -जो श्रन्य ऐलकेलीज़ अर्थात् वारीय विषों के अगद हैं, वे ही इसके भी हैं। देखो -- पोटासा कॉस्टिका |
अमोनिया के थेराप्युटिक्स अर्थात् औषधीय उपयोग ( वहि:प्रयोग )
स्थानिक वाततन्तु एवं रक्रवाहिन्योत्तेजक रूप से स्टिफ जॉइण्ट्स ( विकृत कठोर संधियों ) पर और क्रॉनिक ग्युमैटिज़्म ( पुरातन संधिवात ) की विभिन्न दशाओं में लिनिमेट ऑफ़ श्रमां निया का अभ्यंग करते हैं। ब्रॉङ्काइटिस (कास), न्युमोनिया ( फुफ्फुसौप ) और एल्युरिसी ( पाश्र्व' - शूल ) में स्थानिक उग्रतासाधक ( Counter irritant ) रूप से भी इसका उद्वर्तन करें।
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अमोनिया
अमोनिया प्रायः विषैले कीटों के विष को प्रभावशून्य कर देता है | श्रस्तु, वृश्चिक, भिड़, ततैया और मुहाज इत्यादि के दंश-स्थल पर ( ( दंश अर्थात् डको निकाल कर ), कनखजूरे ( गोजर ) प्रभृति के काटे हुए स्थान पर और रतेल ( मकड़, श्रारण्य मकड़ ) या मकड़ी मले हुए स्थान पर अमोनिया का निर्बल सोल्यूशन लगाने से वेदना एवं शोध कम हो जाता है। अपवित्र सर्प के देशित स्थानपर कम्पाउंड टिंकचर ऑफ अमोनिया ( श्रो-डी-लूस ) का स्वस्थ श्रन्तःक्षेप करना लाभदायक सिद्ध होता है । लोभवद्धन हेतु लोशियो क्रिनेलिस ( सेमवद्ध नार्क ) एक अत्युत्तम औषध है।
मूर्च्छित व्यक्ति को अमोनिया सुंघाने से तत्क्षण होश आ जाता है । क्योंकि इसके प्राण करने से परावर्तित रूप से श्वासोच्छवास तथा हृदय की गति तीव्र हो जाती है । श्रस्तु मूर्च्छा, श्राघात वा क्षोभ, निद्रा (जन्य विसंज्ञता) श्रीर निद्राजनक (वा अवसन्नताजनक ) विषों यथा अहिफेन प्रभृति में रोगी की मूर्च्छा निवारणार्थ अमोनिया सुधाया करते हैं ।
नोट - विभिन्न प्रकार के सूँघने के चूर्ण वा लखलखे ( Smelling salts ) जिनका प्रधान श्रवयव अमोनिया होता है, बने बनाए खुले मुख के हरितवर्ण आदि की बंद शीशियों में अँगरेजी औषध विक्रेताओं की दूकानों में बिका करते हैं ।
श्रन्तरिक प्रयोग
जिन रोगों में फोस्काजनन के लिए कैन्थेरिडीज़ ( तेलिनी मक्खी ) का उपयोग वर्जित एवं धनुचित है, उनमें उन अभिप्राय के लिए अमोनिया का प्रयोग करते हैं । अस्तु, जितना बड़ा फोला डालना हो उससे किंचित् बड़ा लिंट का एक टुकड़ा काट कर और उसको स्टॉङ्ग सोल्युशन ऑफ़ अमोनिया में क्रेदित कर जिस स्थल पर फोका उठाना हो उसे वहाँ पर रख कर ऊपर से वाँच ग्लास ( जेवघड़ी के शीशे ) से श्रावरित कर दें। किञ्चित् काल में वहाँ पर फोला पड़ जाएगा ।
अन्य क्षारीय औषधों के समान श्रमोनिया को भी प्रम्लाजी ( एसिड डिस्पेप्सिया ) में दे सकते हैं । गैस्ट्रिक इन्टेस्टाइनल क्रैम्प्स ( आमाशयांत्र के प्रवाहकीय श्रक्षेपक वेदनाओं ) में स्पिरिट ए (अ)मोनिया ऐरोमैटिक एक प्रत्युत्तम औषध है । बालकके उदराध्मान में सोढा और डिल वाटर (सोश्रा के अर्क ) के साथ इसके कुछ बुद देने से सामान्यतः लाभ हो जाता है । जेनरल डिफ्युज़िल स्टिम्युलेएट ( सर्वांग व्याप्तोत्तेजक ) रूप से सिकोरी (मुर्च्छा ), शॉक ( शोभ ),
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