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प्रजा
अजा गिजा
अश्य जा. मुफरिदह, सेविका है, और नाड़ी जो मस्तिष्क की सेवा करती क्रीटरी ऑर्गन ( Ixcictory (Organs.) है अर्थात उक्र अवयव की प्रधान शक्तियों को अन्य की ओर पहुँचाती है।
अअ.जा. वसीतहza. ytusjtah-अ. अअ जा गिजा hazan ghira-० अाहारे- अजा मुफरिबह ।
न्द्रियाँ, याहार सम्बन्धी अवयव, अथवा पाहार श्रअ.जा बोलazin-19011-अ० बालात को ग्रहण करने वाले अवयव, अथा-आमाशय, वाल, मुन्द्रियाँ, सूत्रसंस्थान- 1(Urinअंत्र और यकृत् श्रादि।
ry sysit:.111.) इसह lazinglhdii. 1 अ जात्र मर ऊसह nizin-11:311usth isah-१० वे अवयव जो न स्वयं किसी को : -० उत्तमांगों से लाभ उठाने वाले अन्यत्र । सेवा करते हैं और न कोई उनकी सेवा करता है । अअ जाथ मुन्शाविहतुल अजज़ा ( nari
नोट--किसी किसी हकीपका यह विचार है कि -mittshabihinjzi-० श्रअ जा शरीर में कुछ ऐसे अवयव भी हैं जिनमें जीवन । मुक रिदह, और पोपण की स्वाभाविक शति विद्यमान है। श्रअ जाअ मुन्विथ्यहा Nizan !!!!iyऔर उत्तमाङ्गों से उनमें कोई शक नहीं पाती, I yah)-श्रा० अनजा शालिग्रह । यथा-अस्थियाँ । किन्तु स्वतन्त्र हकीपों का यह । अअ जाअमुक रिद रू. Nazin-litfridah पंथ नहीं और वास्तविक बात भी यही है । शरीर -अ० मुक्तरिय ज.अ, जाथ् बसीतह, में कोई एक अवयव भी ऐसा नहीं जो अन्योन्या- अन जा मुशावित मुल मय जाश्र, वह अवयव ४.य न हो, अथवा जिसमें स्वामी संबक भाव जो स्वयं अथवा उसका कोडमानाज और वास्त. विद्यमान न हो।
विकता में अभेद, हो, अर्थात यतिर जव मुफ़रिद अअ जाअ तनफ्स rain taraffils : (मौलिक धातु ) का कोई भाग लेकर कहा जाय
- अ० अालात तनाकुस । श्वासोच्छ बासन्द्रियाँ कि इसका पया नाश और परिभाषानो उत्तर
-हिं० 1 (Rspiratiyly Org .) में बही नान और परिभाषा यतलाई जाय जो श्रअ जान तनानुल lazin tunitil-अ० वास्तविक सवयन के लिघु कही जाती है: उदा__ पालात तनासुल । जननेन्द्रियाँ-हिं । (R: हरणतया--पथिक मागको भी अस्थि productivi: Orgas)
कहेंगे, एवं मांग के सूरन भाग का नाम । श्रअ जा तवइ.स्यह. Nazia tithiyyuh ! मुरिद अशा स.अ. (मालिक बन्नुयाँ) की
--अ० प्राकृतिक शक्ति सम्बन्धी अवयव, यथा- . संख्या १० , स्था-अस्थि, उमानिशा कुर्स जननेन्द्रिय वा माहारेन्द्रिय।।
( Cy tilager ), नी, मांस-पेशी, अश जानाक्यह. lazil ki jiyah-अक धमनी, शिरा, कला, झिल्ली, संधि बंधन
शाखावयव, वे अवयव जr शाबानों में स्थित है, ( बंधनी, नासु, र ) और कर डरा । ये यथा-हस्ताद आदि।
बीर्य से उत्पन्न होने हैं, इसलिए इनको शव.. अअ.जाअ दस्विय्यह. Nazia lains iyy. जा मुनिटयह (शंकावयव ) कहते हैं । इनमें
ah-अरक्र. से उत्पन्न होने वाले अवयत्र, से दसवीं धातु लहम (मांस, गोन) है। रक्र जन्य अवयव, यथा-मांस वा वसा ।
शहन (यसा) तथा समीन (मेन) की गणना अअ.जा नफज़ izin naiz-अ० शारी
भी इसी में होती है। ये तीनों शाणित से बनत रिक मल को निकालने वाले अवयव, मल प्रक्ष- हैं। राम तथा नख की गणना वस्तुतः शारीरिक तक अवयव, यथा-अन्त्र, वृकघस्ति, लिंग, मलों में होती है। किन्तु किसी किसी ने इनकी गर्भागश की ग्रीवा और गुदा प्रभति । एक्स- गणना भी अथ जाअ मुफरिदह में की है ।
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