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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपराधीन ३३ अपरिपूर्णविलयन १- तो मिला तथा नागरमोथा, इन्द्रजौ १-१ | अपरिच्छिन्न aparichchhinna-हि० वि० तो० मिलाकर पकाएँ । जब चटनी सी हो जाए [सं०] (1) जिसका विभाग न हो सके। तब उतार रखें । इसके सेवनसे ग्रहणी, अतिसार । अभेद्य । (२) जो अलग न हुअा हो । मिला दूर होते है। हुश्रा । (३) असीम सोमा रहित । (३) मजीठ २ तो०, कुड़े की छाल ८ तो०, ! मपरिणत aparina ta-हिं० वि० [सं०] · भांगरामूल । तो. इन्हें कूट कर १०२४ तो. (१) अपरिपक्व । जो पका न हो । कच्चा । जल में पकाएं जर चौथाई रहे तो इसमें १६ । (२) जिसमें विकार और परिवर्तन न हुश्रा तो. बकरी का दूध मिलाकर पकाएँ। जब गाढ़ा हो । विकार शून्य । ज्यों का त्यों। : चटनी के तुल्य हो जाए तब इसमें सौ , अतीस, | अपरिणामी parinami-हि. वि० [सं० नागरमोथा, इन्द्रजी, एक एक तोला मिला कर अपरिणामिन् ] [ स्त्री. अपरिणामिनी ] रक्खें । इसे खाएँ और ऊपर से कॉजी, खटाई। परिणाम रहित । विकार शून्य । जिसकी दशा इनमें सिद्ध मांस खाएँ और बकरी का दूध पिएँ। में परिवर्तन न हो । तो संग्रहणी, तथा अतिसार दूर हो । वङ्गसे-सं० | अपरिणीत aparinita-हिं० वि० [सं०] संग्रहणी-चि०। [ स्त्री० अपरिणीता ] अविवाहित, क्वारा । अपराधीन aparadhina-हिं० वि० स्वाधीन ।। (Bachelor ). ( An voluntary). अपरिणीता apasinita-हिं० वि० स्त्री० क्वारी, अपरापातन apara patana-सं० पु० आँचल अनूढ़ा । (Maitl, virgin, umnmarried गिराना, खेड़ी गिराना । सु०सं० शा० अ०१०। gir) ). अपगयुः aps dayun सं०० भ्रांतरावरण । | अपरितुष्ट apar tushta-हिं० वि० [सं०] (Amnion). असन्तुष्ट, तृप्तिरहित | ( Dissatisfied.) अपरिपक्क aparipak ka-हिं० वि० [सं०] अपरालः apalāhmah सं० पु. (१) जो परिपक्व न हो। अपक्त्र, कच्चा । अपराह्न aparihina-हिं० पु. (Ulips)। (२) जो भली भाँति पका (Afte]]]0011) दिवस शेप भाग,तीसरा पहर । न हो। सर। अधकच्चा । यो०-अपरिपक्व दिन का पिछला भाग, दोपहर के पीछे का काल कपाय। यह काल प्राट् काल के समान होता है । सु० अपरिपूर्ण योग paripāyana-yoga-हिं० पु. ( Unsaturatod compound ). अपरिक्लिन apaiklinia-f० वि० [सं०] ऐन्द्रियक रसायन के अनुसार यदि कार्बन वा शुष्क । सूखा । किसी अन्य तत्व के परमाणु के साथ अन्य तथ अपरिगृहीता pirigrihitā-सं०(हिं०) स्त्री. के संयोग से उसकी कोई शनि वा स्थान रिक अविवाहिता स्त्री, रखेली स्त्री। हो तो उसे अपरिपूर्ण योग कहते हैं, जैसेअपरिचालक parichalaka-हिं० वि०प्र० एसीटिलीन जो के जलन के एक और उदजन के . रोधक,प्रवाहक । जो विद्युत धाराका वाहक न हो। दो परमाणुओं का एक यौगिक है। (Nonconductors-insulator.) अपरिपूर्णविलयन aparipurna-vilayana अपरिच्छद aparichchhada)-हिं० वि० -हिं० पु. (Unsaturated-solution) अंपरिकछन्न aparichchhannas [सं० ] रसायन शास्त्रानुसार जब किसी द्रव में विलेय प्रच्छन्न aprachchhanman ) आच्छादन पदार्थ का बिल यन करते समय उस पदार्थ का. । रहित, श्रावरण रहित । जो ढका न हो। नंगा । धुलना बन्द न हो अर्थात् वह घुलता ही रहे, खुला। तो वह विलयन अपरिपूर्ण विलयन कहलाता है। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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