SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 413
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्योन्याश्रय अन्हैलोनियम लोवीनिमाई -० को० ( Decussation) परस्पर एक ! Indica, Roxb. ( Bulb of-Indian दुपरेको पार करना ( काटना )। Squill ) स. फा० इं० । देखो-अरण्य अन्योन्याश्रय anyonyashraya-हिं० प. पलारडुः । सायेत, परस्परका सहारा । एक दूसरेकी अपेक्षा । | अनसराड़ा amsundra- न० खार-नैपा०। वेलअन्वय Vaya-हिं० संज्ञा पुं॰ [सं०] [वि० वैलम्-ता.। (Acacii-Ferruginea, अन्वयी] । (१) परस्पर सम्बन्ध, । तारतम्य । D.C-)। (२) संयोग । मेन । (३) वंश । खानदान । श्रन्सारिशा ansarisha-बं० हुल्हुल्। धादित्य. अन्वह anvish-हि. पु. नित्य, प्रतिदिन ।। FI ( Cleome Pentaphylla ). (Every day ). ई. मे० पला । अन्वाम anvamil-अ. ( वह व.), नौम ! अन् हैलोनियम् arhalonium-ले० मस्केल (ए० व०) । निद्रा । नींद । ( Sleep, | *H ( Vuscale Buttons ). marcosis, stupor). अन्हैलोनियम लीवानिश्राई Anhalonium अन्वाशनम् alivashanan-सं० क्ली० (१) lewinii-ले। कर्मशाला । हला० । (२) स्नेह बस्ति (X. 0. Cactacea) (Oily enemata)। देखो-अनुवासन उत्पत्तिस्थान-वेस्ट इण्डीज़ । वस्तिः1 प्रयोगांश-पुष्प । garna anvásana इंद्रिय व्यापारिक कार्य- इसका प्रारम्भिक अश्वासनम् anvasanam-सं० ली । प्रभाव अवसादक होता है। इससे नाड़ी-स्पन्दन अनुवासन, स्नेहवस्ति । ( Oily sne- निर्यल एवं शिथिल होजाता है। (प्रायः ४० प्रति mata). मिनट से न्यून) और शरीर वाघ तन शीतल पर प्रवाहिकः anvahikah-सं० त्रि. प्रात्यहिक, जाता है। प्रहर्षण (या शिश्नोत्थान ) बिना प्रति दैनिक, रोजाना । ( Daily, quoti- वीर्य स्खलित होता है । dian. ) उपयोग-सिरिअस (Cereus grandअन्वित anvita-हिं० वि० [सं०] युक्र, मिला | iflorus and coreus "cactus" हुश्रा, सहित, शामिल | bouplandii) की अपेक्षा यह कहीं उत्तम हृदोअन्शर anshara-अ० मदार, पाक । (Ca. तेजक तथा उत्तम धन हृदयबलप्रद श्रीपधि है। lotropis giguntea). उग्र हृच्छूल,फुफ्फुसौष,श्वासावरोध में कदाचित् २ अन्स aansa-० अर्जुन । (Terminalia या ३ बुद इसके तरल सत्वको जब तक कि लाभ Toinentosa or Arjuna ) प्रदर्शित न हो, कभी कभी उपयोग में लाना चाहिए। तदनन्तर बढ़ाने के स्थान में थोड़ी अन्सल aansal -० विलायती ! मात्रा उपयोग में ला सकते हैं। इसके उपयोग शन्सलान aunsalana ) काँदा । पिलायती जंगलो काँदा-हिं | पियाजे दश्ती-फा०। से उत्थान बिना वीर्य स्खलित होने लगता है। Seilla (Squill ) स० फा० ई. । श्रस्तु, उन अवस्थाओं में इसके विरामरहित अधिक कालीन उपयोग से बचना चाहिए। देखो-अरण्य पलाण्डुः । अधिक वातल प्रकृति वाले व्यक्रियों में इसका अन्सले-हिंदी aansale hindi-ऋ० काँदा, उपयोग चतुरतापूर्वक करना चाहिए । शिथिल जंगली पियाज़-हिं०। पियाजे दश्तो हिन्दी-फा० (कफ), लसीका या रक प्रकृति वालों में यह Urginoa Indica, Kunth.; Scillat अधिक स्वतन्त्रतापूर्वक उपयोग में लाई जा For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy