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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुबन्धी भमुहा (२) बंधन । लगाव । ( ३ ) अनुसरण - जाए ) उसे "अनुमत" कहते हैं। जैसे-किसों में (१) प्रारम्म । कहा है कि सात रस होते हैं और दूसरे ने इसे अनुबन्धी anubandhi-सं. स्त्री. ( . )। मान लिया, यहो अनुमत हुआ। सु० उ०६५ मृष्णा, प्यास ( Thirst) । (२) हिका, अ० । सम्मत, स्वीकृति, एक मत । हिचकी । (Hiccup) मे । -हिं० वि० अनुमति mumati-हिं० स्त्री. अनुशा, प्राज्ञा, [अनुगंधिन् ] 1 स्त्रा० अनुबंधिनी ] (1) ___ सम्मति । ( an order, advice.) जगाव रखने वाला, संबन्धी। (२) फलस्वरूप अनुमस्तिषम् anumastishkam-सं० क्लो. परिणाम स्वरूप। अनुमस्तिष्कम् ( Cerebellum ). अनुबोध anubodha-हिं० संज्ञा पुं. गंधोद्दीपन अनुमान anumāna-हिं.. अटकल, विचार अनुभास: anubhasab-सं०१० कक विशेष। भावना, क्रयास।Inference, guess) .(A kind of crow) • निघ। अनुमानी anumani-यु० मद्य और शहद मिला अनमत anubhuta-हिं०वि० (Experien हुआ ( Wine and boney mixed)। ced) परीक्षित । सिद्ध । तजरवा किया हुश्रा । भनुमाली anumāli-यु. एक प्रकार का मद्य प्राजमदा । (२) जिसका अनुभव हुअा हो। जिसको अंगुरको निचोड़ कर बिना पकाए (मध) अनुभूत चिकित्सा anubhuti chikitei प्रस्तुत करने हैं। हिं० वि० परीक्षित इलाज । नुमेला mumesa-रू. गुले-स्लाजा, वायुपुष्प। अनुभूत योग anubhuta-yogia-हिं० वि० शनाय कुन्नभमान-अ०। ( Pulsatiila ) परीक्षित योग । देखा-पल्साटिल्ला । अनुभूत लक्षादि तैल anubhuta..likshadi• अनुयवः anuyavah-सं०० ( १ ) जो यव taila-सं० १. एक सेर नाव को चार से न्यून हो उसे "अनुयव" कहते हैं। धा० । सेर पानी में श्रौटाएँ । जब पक सेर जन्त शेष रहे। (२) निःशूक यव, शूक रहित यव, व तय उतार कर छान छ । पुनः इसमें । सेर शुद्ध : रहित औ । हेमा०। (३) क्षुद्रयव, यह जी तिल तेल डालें, और चार सेर दही का जल की अपेक्षा गुणहीन होता है। वा० स०अ०॥ द्वाती। फिर सौंफ, असगन्ध, हल्दी, देवदारु, : शूक धान्यवर्ग। (A sort of Barley) रेणुका, कुटकी, मुन्या, कूर, मुलहठी, मोथा, अनुयोजनम् anuyojaunam-सं० क्ली० (A. चन्दन, रास्ना प्रत्येक एक एक तोला ले', इन p position ) सबका फलक कर के उन नैल में डाल मन्द मन्द ' अनुरस anurasa-हिं० संज्ञा पं० [सं॰] अग्नि से पचाएँ, फिर सिद्ध कर रक्खें। इसके ' गौण रस । अप्रधान रस | वह स्वाद जो किसी मर्दन से विषमज्वर, खुजली, देह का दर्द दुर्गन्धि : वस्तु में पूर्ण रूप से न हो । वा. सू०। तथा अंगों का स्फोटक इत्यादि दूर होते हैं। अनुराधा umuradha-हिं. स्त्री० २७ नक्षत्रों में (यो० त० ज्वर० चि०) से १७ व नक्षत्र। The 17th Naksna. अनुभूतिः anubhutih-सं० स्त्री० त्रियता, त्रिवृत् tra or lunar imansion. desigha...सं.। निशोत, निसोध-हिं० । तेउड़ी-बं०। ted by a row of oblations (St. Ipomcea turpetbum | दे० त्रिवृत् . ars in Libra.) (ता, ह्वा)। : अनरुहा anuruhi-सं०स्त्री० नागरमुस्ता-सं०। अनुमतम् arumatam-सं० ली० जहां पराए नागरमोथा-हिं० । ( Cyperus perts. मत का निषेध नहीं किया जाए ( स्वीकार किया। nuis ) For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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