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प्रभाव-आक्षेपहर और वायुनिस्सारक । । मात्रा-भाधा.से ३ बुद (०३ से २ घन शसोशमीटर)।
बह टिंकचूरा कैम्फोरी कम्पोजिटा, टिंकचूरा शोपियाई एमोनिण्टा और निम्नलिखित मिश्रणों में पड़ता है।
(४) स्पिरिटस एनिसाई ( Spiritus anisi)-ले । स्पिरिट अॉफ एनिस (Spirit of anise.)-२० । रूह अनीसू, रूह बादियान रूमी।
निर्माण-विधि-ऑइल आफ ऐनिस ' भाग, ऐलकोहल (१०%) भाग दोनों को मिला लें । यदि निर्मल न हो तो विचूर्णित अभ्रक मिलाकर हिलाने के बाद छान लें ।
प्रभाव-माक्षेपहर और बाबुनिस्सारक। मात्रा-५ से २० बुद( -३ से १.२ धन शतांशमीटर )। एक वर्ष के बालक को
नॅॉट ऑफिशल योग ( Not Official Preparaticus. )
(१) एलिक्सिर एनिसाई ( Elixir | Anisi ) ले । एनिसीड कॉर्डियल ( Aniseed Cordial)-इं०। अक्सीर अनीसून, मुफ़हि अनीसून ।
निर्माण-विधि-एनिधोल '३५ भाग, ग्राइल | ग्राफ फेनेल ०५ भाग, स्पिरिट श्रीफ़ बिटर प्रामंड १२५ भाग, ऐलकोहल (80%)२४ भाग, सिरप ६२.५ भाग, मैग्नेशियम कार्बोनेट ।
५भाग, डिस्टिल्ड वाटर श्रावश्यकतानुसार या इतना जितने में सारी औषध पूरी १०० भाग हो जाए।
मात्रा-मध्यम मात्रा बालकों के लिए १५ बुद=(१ घन शतांश मीटर )।
(२) एसेंशिया एनिसाई ( Essentia . Anisi)-ले० । एसेन्स अफ एनिस (Essence of Anise)-इं० । रूह अनीसून, रूह बादियान रूमी।
निर्माण-विधि-श्राइल अफ एनिस ।
भाग, रेक्टिफाइड स्पिरिट ४ भाग दोनों को मिला लें । (नि० फा० सन् १८८५ ई० के अमुसार)!
नोट-उपयुक स्पिरिटस एनिसाई की अपेक्षा इस एसेंस की शकि लगभग द्विगुण है।
(३) निसिक एसिड ( Anisic Acid )-अनीसूनाम्ल, अनीसून की तेजाब | हम्ज़ ल अनीसून, तेजाब यादिग्राम रूमी ।
अनीसून के तैल वा सब को ऑक्साइड ( उष्मिद) करने से यह अम्ल प्राप्त होता है। इसके चमकदार, वर्णरहित एवं सूचिकाकार पतले रखे होते हैं।
(४) सोडियम् एनिसेट (Sodium Anesate )-यह एक स्वादार एवं सूक्ष्म सुगन्धिमय चूर्ण होता है जो सोडियम को एनिसिक एसिड में मिलाने से बनता है।
घुलनशीलता-यह एक भाग ५ भाग जल में और एक भाग २४ भाग ऐलकोहल (60%) में विलेय होता है।
नोट-कहते हैं कि एनिसिक एसिड ( अनीसूनाम्ल) और सोडियम्एनिसेट सैलिसिलिक एसिड के समान पचननिवारक और ज्वरघ्न प्रभाव रखते हैं। एनीथोल (Anethol.)
अर्थात् अनीसुन का सत्व पनीथाल ( Amethol )-ले० । एनिस कैम्फर ( Amise Camphor )-501 अनीसून सरव, अनीसून कपूर-हिं० । जौहर अनीसून, काफर अनीसून । यह स्टियरीष्टीन अर्थात् वाले दाइल या उड़नशील तैल का सांद्रांश है । यह अमीसून तेल तथा बादियान खताई हर दो तेलों से प्राप्त होता है। .
नोट--घॉलेटाइल प्राइल अर्थात् अस्थिर तेल में जो जम जाने वाली वस्तु होती है उसको डॉक्टरी परिभाषा में स्टियराप्तीन कहते हैं जिसका सामान्य उदाहरण कपूर है। अतएव अनीसून सत्व को भी अंगरेजी में एनिसाई कैम्फर अर्थात् अनीसून का कपूर कहते हैं।
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