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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनारमुश्क ३१३ अनाविल अनारमुश्क anara-mushka-फा० नारमुश्क, अनातंय जलम् anārttavt.jalam-सं० नागकेशर । ( Mesia ferrea). क्ली० जो जल ग्रिना ऋतु अर्थात् चौमासे ( वर्षा. अनार मैखोश ana1a-mailk hosha-फा० ऋतु) के सिवा पौष श्रादि महीनों में बादलों खामिटा अनार, स्वादुम्लद डिन । ( Pome- द्वारा वर्षता है उसे "अनार्तबजल" कहते हैं। granate of a mixed taste of sour यह प्राणियों में वातादि तीनों दोषों को कुपित and sweet). देखो अनार । करता है । "अनार्त्तवं प्रमुञ्जन्ति वारि वारिधराअनार वित्रतोस anāra-vitra-tisa-o० स्तु यत् । तस्विदोपाय सर्वेषां देहिनां परिकीर्तिफ्राशरस्तीन I Sec-Fasharastina. तम् ॥" भा० पू० वारि०व०। वर्षा ऋतु के अनार शीरी anara-shirii-फा० मीठा अनार । सिवा अन्य ऋतु का जल अथवा वर्षा ऋतु के भी (Sweet Pomegranate ). देखो- श्र- प्रथम वृष्टि का जल । यह जल पीने योग्य नहीं नार। होता । वा० सू० ४ ० श्लो० ७॥ अनारस anarasa-गु० अनन्नास । Ananas | अनातवा anārttara-सं० स्त्री०, हिं० वि० sativus, Jill. ( Pine apple ). En ata (Unmenstruating woman) फा० ३०१ जो ऋतुमती न हो । रजः शून्या, वह स्त्री जिसे अनारहिन्दी anaa-hindi-फा० श्री फल, मासिकधर्म न होता हो यथा-"अनार्तवस्तनापंडी" बिल्व, बेल (gle marmelos). "बेल- स० सं०३०३८। "अनात वास्तनी पण्डी गिरी इसी का गूदा है।" खरस्पर्शा च मैथुने।" मा०नि०। अनारित anāriksha-सं० श्राकाश (Sky ). | अनार्य anārya-हिं० संज्ञा पु० [सं०] [स्त्री० अनारिक्ष जलम् amariksha jalam -सं० अनार्या । संज्ञा अनार्यत्व, अनार्यता] (1) वह क्ली० अन्तरीक्ष जल, वर्षा का जल | ___ जो श्रार्य न हो । श्रश्रेष्ठ। (२) म्लेच्छ ।। अनारी anari-हिं० वि० [हिं० अनार ] अनार अनार्यकम् anāryyakam-सं० क्ली० (१) के रंग का लाल । अगर, अगुरुकाष्ठ । Aloe wood-ई. । __ हला० । (२) काष्ठागुरु । रा०नि० २०१२। संज्ञा पु० (१) लाल रंग की आँख वाला | भा० पू०१ भा० क०व० । देखो-अगर । कबूतर । (२) एक पकवान | यह एक प्रकार अनाऱ्याजम् anaryya.jam-सं० की. अगर । का समोसा है जिसके भीतर मीठा या नमकीन अगुरु । Aloe wood-इं० । रा०नि०.। पूर भरा जाता है। अनाथ्यतिक्तः-कः anaryyatik tah,-kah अनारीत्रह, amarichah-फ़ा. एक अप्रसिद्ध बूटी | -सं० पु. चिरायता, भूनिम्ब । ( Gentia. है (अकरा भेद की ). na Cheray ta, Raeb.) अम० । अनार्जव: ayarjavah-सं० पु. 1. अनार्ष anārsha हिं० वि० [सं०] जो ऋषि अनार्जव anar java-हिं. संज्ञा पु. प्रशीत न हो। जो ऋपिकाल का बना हुआ रोग । ( Disease) रा. नि. व. २० । । (२) सिधाईका श्रभाव | टेढ़ापन | असरलता ।। अनालगोलम् anāla-golam-सं० पुं० (Du. अनार्तव anārtva-हिं० वि० [सं०] [स्त्री० | ctless gland) प्रणालीविहीन प्रन्थि । अनार्तया ] बिना ऋतुका । बेमौसिम । श्रनवसर । | अनालीकी analiqi-रू० अञ्जरह., उतञ्जन । संज्ञा पु० स्त्रियों के ऋतुधर्म का अवरोध ।। ___Blepharis Edulis, Pers.) रजोधर्म की रुकावट । | अनाविलः anavilah-सं० त्रि० अनार्स: anarttab-सं० त्रि० अकालज, बेसमय, अनाविल anavila-हिं० वि० बिना ऋतु । ( Untimely). निर्मल, स्वच्छ, साफ, ( Clean,pure). For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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