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अनार
अनार के पक्षों को पानी में करना श्वीप का साभप्रद है । कनफेड के बरम को दूर करता है।
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पीस कर लेप
। इसका प्रलेय
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अनार के २ लो० पत्तों को ॥ पानी में क् थित कर = पानी शेष रहने पर छान कर ४ रत्ती संधानमक मिला सुबह और शाम पिलाने से भी यह कनफेड़ के बरम को दूर करता है ।
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प्रवार के २ तो० हरे पत्तों को ॥ पानी में
करें। पानी शेष रहे तब छानकर ठंडा होने पर इससे गड़प कराने से यह खुनाक ( Sore throat ) को दूर करता है । श्रातशक में पारद सेवन से मुँह आने पर भी इसका उपयोग लाभदायक होता है
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अनार के २ तो० हरे पत्तों को ॥ पानी में जोश देकर = रहने पर छानकर ठण्डा करके सुबह इसीतरह शाम के वक पिलाने से वह सुना (Sore throat) और मुँह थाने में मुफीद है ।
अनार के पतों को छाए में सुखा बारीक पीस और करड़ छान करके सुबह और शाम दाँत और मसूढ़ों पर मञ्जन रूप से लगाने से दाँतों के हिलने, मसूड़ों से खून या fta श्राने और मसूदों के फूलने इत्यादि में लाभप्रद 1
5- अनार के पत्तों को 59 पानी में जोश देकर || पानी शेष रहने पर छान कर इससे जख़्मों को धोने से उनसे खुन खाना बन्द हो जाता है और ज़ख्मोंका गन्दापन दूर हो वे शीघ्र भर जाते हैं ।
इस प्रकार धोने से और पूर्वोक अनार पत्र तथा सत्यानाशी द्वारा प्रस्तुत तैल के लगाने से नासूर भी दूर हो जाता है ।
अनार के पत्तों को छोएमें सुखाकर बारीक पीस कपड़छान करके ६-६ माशा सुबह शाम ताजे पानी के साथ खिलाना भी नासूर में लाभ करता 1
अनार के पत्तों को पानी में पीसकर दिन में दो बार लेप करना या अनार के पत्तों को पानी
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श्रनार
में भिगोकर बतौर पोटली आँखों पर फेरना दुखती आँखों को लाभ पहुँचाता है ।
प्रचार की पत्तों को कुचल कर निकले रस को कपड़े में छान कर दिन में दो बार चन्द्र कतरे आँखों में टपकाना आँखों की सुर्खी, बरम, खुजली और गंदपन को दूर करता है ।
अनार के १ सेर ताजे पत्तों की सेर पानी में भिगोएँ । २४ घंटे बाद भाग पर पकाएँ जब २ सेर पानी शेष रह जाए छान कर इस पानी को दुबारा आग पर चढ़ाएँ । जब शहद की तरह गाढ़ा हो जाए तब याग पर से उतार कर पंडा होने पर शीशी में डाल रक्खें । इसे सलाई से सुबह और रात्रि में सोते समय श्रख में लगाना दुखती खों को लाभ करता है और श्रोंखों की खुजली, ललाई, गंापन, पलकों की खराबी, पानी जाना और कुकरों को दूर करता है | अधिक काल तक सेवन करते रहने से परवाल भी दूर हो जाते हैं । पत्ती को पानी में भिगोने से पहिले पानी से अच्छी तरह साफ कर लें जिसमें मिट्टी आदि अलग हो जाएँ । यथासम्भव इसकी ताम्र पात्र में तय्यार करें ।
अनारकी हरी पत्तीको कुचलकर निकाला हुआ रस ४०-४००, सुरमा स्याह २ तो०, दोनों को खरल करें। शुष्क होने पर कपड़छान कर रखें | इसको दोनों समय श्राखों में यांखों के उपयुक्त रोगों को दूर करता I
लगाना
नार के हरे पत्तों को कुचल कर निकाला हुआ रस खरल में डाल कर खरल करे । जब शुष्क हो जाए तब कपड़े में छान कर रखें । प्रातः सायं सलाई द्वारा आंखों में लगाना पूर्वोक नेत्र रोगों में यह प्रयोग ग्रधिकतर लाभप्रद है
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सिंगर रूमी १ तो०, अनार के हरे पत्त े २ तो० दोनों को खरल करके ७ टिकियाँ बना कर छाया में शुष्क करें। तामे के टुकड़ों को आग पर गरम करके उस पर एक टिकिया रखकर जलाएँ और श्रावक के रोगी को नंगा करके