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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनरूप २६२ अनल्जीन (२) भोजन अच्छा न लगने को बीमारी। श्रनलमुत्र amla-mukha-हिं० वि० [सं, मन्दाग्नि । जिसका मुख अग्मि हो। जो अग्नि द्वारा पदार्थों अनरूप amarupia-हिं० वि० [सं० अन्धु रा+ को ग्रहण करें। -संज्ञा पु. (१) चित्रक,चीता। रूप ] (1) कुरूप | बदसूरत । (२) अस (Plumbago Z :ylanica) (२)भिलावाँ मान | अतुल्य । असहरा । ( Somecarpus Anacardium). अनजेल anurjala-काश० श्राइरिस सोसन । 'अनल रसः analasah-से 40 पारे को Iris sosan (Iris Eusata). तामेकी सफेद भस्मके साथ वोटकर पिष्टी बनाएँ। अनलः analah-सं० पु. (१)चि.! पुनः उस पिष्टी के बराबर गंधक मिलाकर घाट । अमल anala-हिं० संज्ञा पु. । क धुप, फिर पास, बच्च, कलिहारी, चियक, धतूर, थूहर a( plumbiyo zeylanica ).. और पाक के रस से पृथक् पृथक् पुट दें तो यह रा०नि० १०६ । भा०पू० १ भा० ह० २०। अनल नामक रस सिद्ध हो। मात्रा-३ रसी। च. द० संग्रहणी चि. पाटादि चूर्ण । (२)! गुण-इसे पीपल तथा गृह के साथ देने से लाल चीता, रक चित्रक। ( Plumbago गुल्म का नाश होता है। र० यो. सा०। Rosea ) र० सा० सं०। (३) भिलावाँ, अनलविवर्द्धनो anala-vivarddhuni-सं. भल्लातक वृक्ष । (Senacarpus amn.ca- श्री टिका.. | ककड़ी-हि01 (A kind ardium.) रा०नि० व०११। (४) पित्त। of cucumber) वै० श० । (Bile) ग०नि० २०२१। (१) देव : .. अनलसूतेन्दो रसः unaasutendrorasah धान्य । मद० २०१०। (५) अग्नि, प्राग . -सं० पु. शुद्ध पारा । भाग, गंधक २ भाग, (Fire), इनकी कजली करें। फिर विष्णकान्ता, वच, पाटा, अनलम् malam-सं.काभिलावाँ का बीज । कलिहारी, मालकांगनी अथवा शाकाशयेल और senecarpus Anacardium (seeds of-) “श्रनल मरिच दूो" भैप० कुष्ठ तितली ( पीत घेणी ) इनके रसों से पृथक् पृथक चि०। एक एक दिन भावना दें। पुनः सबके रसों की मिलाकर १५ दिन तक बारीक घाँटें | फिर करती अनलचूर्ण unalachārna-हिं० संज्ञा पु. प्रमाण की गोलियाँ बनाएँ। [सं० ] बारूद । दारू। अनलनामा amalanāma-सं० पं. चित्रक सेवन विधि तथा गुण-घी, अदरख, या सम्हालू के रसके साथ स्वाने से घोर गुल्मका नाश वृक्ष, चोता। (Plum bagol Govinnica) वै.श ! होता है। र. यो० सा०। अनलपंख amaln.pankhar - पेशा अनला लिन् (लिः) alli,-lina-lin-सं०प. अनलपक्ष anala paksha पु[सं०] वक वृक्ष-सं० । अगस्त वृष, अगस्तिया-हि। एक चिड़िया । इसके विषय में कहा जाता है (Agati grandiflora) प्रिका०। यह सदा श्राकाश में उड़ा करती है और वहीं ! अनलगे(जे)सिक analgesic-५० अङ्गमईशअंडा देती है। इसका अंहा पृथ्वी पर गिरने से मनम्, वेदना शामक, पीबाहर । (Anod. पहिले ही पक कर फूट जाता है और बच्चा अ y ne). से निकल कर उड़ता हुश्रा अपने माँ पाप से जा अन गेलिया analgesia-t० प्रवसन्नता, स्पर्धामिलता है। । ज्ञता । ( Anasthesia). अनलप्रमा anala-prabhā-सं० स्त्रो० ज्योति- । अनल्जोन analge: -इं०वेङ्ग, अनलजीन Benz मती लता मालकांगुणी (Cardiosperm- analgen, किन अनल जीन । (Quin-anar um halicaca bum )। रा०नि०५०३। lgin) अवससी :-हि. । मुनाहिरीन ति:। व०१० For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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