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अंधःकुन्तलः २५२
अधःपुष्पी [ अधः नीचे+काय-शरीर 1 कमर के नीचे के श्रीधा कर रख दें। दोनों पात्रों के मुख को अंग | नाभि के नीचे के अवयव ।
मिलाकर मा मत्तिका द्वारा उनकी संधियों को अधः कुन्तलः adian-kuntalah-सं० पु. । भली प्रकार बन्द कर दें। उपर के पात्र को अन्तलाम।
उत्तार देने पर पारद पृथक् होकर जल में गिरेगा । अधः कुति देशः adhaln-kukshiddeshali यह पारद शुद्ध होगा। पारद शोधन की इस
-सं०० (Hypogastric region. ) क्रिया को अधःपातन और जिस यंत्र कुक्षि निम्नभाग, पेड़ के नीचेका हिस्सा । इङ्गलीम् । द्वारा यह क्रिया सम्पन्न होती है उसको आयुर्वेद खस ली, किस्म वस.. ली-अ० ।
में भूधरयंत्र कहते हैं। देखो-पारद । मधःकौक्षय-सक्षम् adhan-kouksheya- "नवनीताद्वयं सूतमित्यादि ।" र० सा० सं०।
plakshan-०प० कक्ष्यधः भाग स्थित (२) अर्वाचीन रसायनशास्त्र की परिभाषा में माड़ी जाल | जफ़ीरह, खस लिय्यह-अ० ।
इसने अभिप्राय विलयन में से किसी द्रव्य का (Hypogastric Plexus.)
पात्र तल पर शनैः शनै बैठना अथवा तलस्थायी अधः पतन niha.h-patana-हिं. संज्ञा पुं०
होना है। [सं०] (१)। ( Precipitation.) अधः कुछ द्रव्य ऐसे होते हैं, कि यदि उन के पिलक्षेपित वा तलस्थायी होना । (२) नोचे गिरना । यन पृथक् पृथक् शुद्ध जल में बनाए जाएँ, तो
(३)विनाश, 'हय, पतन । देखो-अधः पातन । वह विलयन सर्वथा स्वच्छ और पारदर्शक होते अधः पात adhah-pata-हिं० सज्ञा प. हैं। पर यदि उनको मिला दिया जाए, तो उनमें
[सं०] (१) अधः क्षेपित (प), तलस्थित, नीचे कोई ऐसा परस्पर रासायनिक विकार होता है, गिराहुा । (Precipitate)। (२) नीचे | कि एक अविलेय वस्तु बन जाती है, जो पहले
गिरना। देखो-अधः पातन । (२)तल छर, गाद। विलयन को कलुपित कर देती है, और पुनः अधः पातनम् adhah-patanam-संलो। पात्र तल पर शनैः शनैः बैठ जाती है। इस अधः पातन adhah patuna-हिं०सज्ञा प०।। प्रकार दो विलेय द्रव्यों के मेल से एक भिन्न
अधःपातनम् ... इसका शाब्दिक अर्थ नीचे अधिलेय वस्तु का बनना और पात्र तल पर गिराना है । अधःक्षेपण तलस्थिरीकरण । शनैः शनैः बैना अधःपातन (अधः क्षेपण) (१) किन्तु, प्राचीन भारतीय रसायनशास्त्र कहलाता है, और जो द्रव्य पात्र तल पर पैरता की परिभाषा में इसका अभिप्राय "पारद है, उसे अधः पात ( अधः क्षेप ) कहते हैं। शोधन के तीन विधानों में से एक" है ।
पाय-अधःपातनविधि- नवनीत (मैनुश्रा) नाम का गंधक
ग्रेसिपिटेशन Precipitation इं०। तीब और पारद इनको सम भाग लेकर जम्पीर के रस
-अ०। तह नशी करना-उ० । से मईन करें। फिर कैयौंच की जड़, शोभाजन की जड़, श्वेत अपामार्ग, सर्पप और सेंधा नमक
अधःपात-- (किसी किसी जगह पारद को त्रिफला काथ, प्रेसिपिटेट Precipitato-६० । रूसोब, शोभाजन बीज, चित्रक मूल, रक सर्पप और उकार, इकर अ० । दुर्द,तल छर,तहनशी-उ० । सेंधा लवण में मन करने का विधान है।) अधः पाश्चात्य चक्राsadhah-pashchatya के समान भाग करक को मिश्रित कर यंत्र के . -chakringa-हिं. संज्ञा पु. ( Posऊपरी पान के भीतरी पेंदे में उन मिश्रित कल्क tero-inferior gyias) के साथ पारद का प्रलेप कर दें। यंत्र के जल- अधः पुट: adhah.purah-सं० पु. चारोली पूर्ण निम्न पाम्र को पृथ्वी में गढ़ा बनाकर उसमें ।
वै० निघ० । रखें और उसके ऊपर से पारद लिप्त पात्र को । अधः पुष्पी adhah-pushpi-सं० ली० (१)
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