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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अण्डधारक रज्जु २२४ प्रण्डसत्वं पर स्लैष्मिक कला का एक बेन्टन चढ़ा रहता है। इसीसे अण्डकोषके भीतर अंड लटका रहता है। अण्डधारक रज्जु anda-dhāraka-kyju | -हि० संज्ञा स्त्री० देखो-अण्डधारक रज्जुः।। प्राडपर्णः anda-parnah-सं० पु. मलाण्ड : मरु | See-mal ande h. अधिक अण्डपेशी anda.peshi-सं० स्त्री० कोष (Sac, cyst)i(?) ( l'esticle ) मुष्क, अण्ड, शुक्रग्रन्थि । हे० च०। अण्ड प्रदाह andapradaha-हिं० संज्ञा पु. अंड की सूजन (Orchitis). अण्डर सेनिया रोहितका undersonia, rohituka, Roxb.-ले०(Amoora rohituku,", &. A.) रोहिना, रोहेड़ा, रोहि. सक, तिराज- हिंदेखो-रोहितक। भराड-लाल anda-lala-हि. संज्ञा पुं० अण्डे की सुफेदी, अगदोदक । The white of . the ogg ( Albumen ). भएडवर्धन anda-vardhanam-सं० को० । एडवृद्धि anda-vriddhi-हिं० संज्ञा स्त्रो०। ( Swelling of the scrotum ) एक रोग जिसमें अंडकोश वा कोता फूलकर बहुत बढ़ जाता है। मोते का बढ़ना । देखो-अन्नवृद्धि। अरड वहा नाली anda-vahinili-हि. संज्ञा स्त्री० (Fallopian tube) रजः कोष (डिम्ब ) लाने पाली, जो मासिकधर्म के बाद अण्ड (डिम्ब) गर्भाशय को लाती है। अण्डवेष्ट: anda-veshth-सं० पु ०(Sel otum, Tunica albuginea testus) अण्डकोष । अण्ड श्वेतक anda-shvetaka हिं. पु. अल्ब्युमेन ( Albumen )। अण्डलाल । जुलाल-अ०। भण्ड सत्व anda satya-हिं संज्ञा पु०, मुष्कीन, मुष्कसच, मुष्क रस, शुक्रीन, शुक्रकीट सत्व,उपाण्ड सस्व । टेस्टिस्युजर एक्सट्रैक्ट (10 sticular extract); टेस्टीससिका (Tesi tes sicca), टेस्टिक्युलीन (Testicul- in), आर्चीडीन (Orchidin), स्पर्मीन (Sperinin), डिडोमीन (Didymin)-ई० नुत फ्रीन या जौहर मन्त्री, स्नु स्यीन या जौहर, नु.स्यह,, जौहर जुस यह मौकानी-अ०, फ़ा० । नोट-जैसा कि उपयुक नामों से प्रगट है, यह सम्पूर्ण औषधियों पुरुष के उत्पादक भवयत्रों द्वारा बनाई जाती हैं। रासायनिक लक्षण तथा परीक्षा-पाहत (Pochi) का निर्माण, विभिन्न जीवधारियों विशेषकर साँड़ ( bull) की शुक्रग्रन्थि द्वारा निर्मित रासायनिक पदार्थ का, जो पाउन सीक्वार्ड के इमल्शन का प्रभावात्मक तत्व है, दो प्रतिशत का कीररहित धोखा है। यह रासायनिक दृष्टिसे पायपेराजीन (Piperazine)का सहधर्मी है । शुक्रीन (Spermin) के हायदोफोराइड ( उज्जहरिद ) और फास्फेट ( स्फुरत् ) भी उपयोग में प्राचुके हैं। परन्तु, पाहल ( Poehi ) का दो प्रतिशत का विलेय घोल सम्पूर्ण कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ है। प्रन्थियों द्वारा निर्मित शुष्क भारतीय पदार्थ वा सत्व ५-५ ग्रेन (२॥ रत्ती) की रिकियामों (Tabloids) के रूप में मुष्कीन (प्रा डीन, टेस्टिक्युलीन, पाचटीन) और उपाएडीन ( Didymin) प्रभृति नामों से उपयोग में लाए गए हैं। एक द्रव भी प्राप्य है, जो एक प्रकार का ग्लीसरीन एक्सट्रैक्ट है और जिसे १५ से ३० मिमिम् (बुन्द ) की मात्रा में मुख अथवा स्वस्थ अन्ताप द्वारा देते हैं।। शुक्रीन की मुख्य मुख्य प्रतिक्रियाएँ : शुक्रीन (Spermin ) में स्वयं विशेष शुक्रीय गंध नहीं होती, तथापि उसे धाविक मग्न (Metallic magnesium) के साथ मिलाने पर उसले शुक्रवत् गंधका बोध होता है । मिश्रण को उत्ताप पहुँचाने पर शुक्रीय गंध अमोनिया में परिवर्तित हो जाती है। शुक्रीन (sperinim) घोल में न तो प्रायोडाइड श्राफ पोटाशियम (पांशु नैलिद) और न एसीटेट ऑफ़ लेट (शीप भरम ) ही से तलस्थायीत्व For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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