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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रजोवान प्रजभः मॉक) Rozb.) फॅॉ. इं०। ई० मे० ०। (बाइ- तह नानो । अधोमा महाशिया, निम्न महाशिरा। प्राचीन छेदन मात्र की परिभाषा में उपरोलिखित ___मदनमस्त या सूरण वर्ग शिरा का वह भाग जो यकृत से निम्नावयवों (y.O. fritle:se or Araceae) की ओर जाकर शाखायों में विभाजित होता है। उत्पत्तिस्थान-बंगाल (राज.),सिरामर Exiffc dar #1 (Inferior vena (बेग्य०), प्रस्तोरा गोप्रादे" (डाइ.), ca:-ई। हिन्दुस्तान । majolf-fo.gani-अ० देखोउपयोग-गोवा में देशो लोग इसके बीज को अनौफ साइद ( Superior vena. कुचल का दंतरोग में वनेने हैं। थोड़ी मात्रा में . civ). इसे रुई में रख कर खोखले दाँतों में भर देते हैं । । अरु लाइ ajoafar-saai 1 अ कोहानी, इससे न य य झोन तक ल श न होमाता है। प्रो अभूजा और अजफ तालअ-अ.। इसो आमादा गुग के कारण चार लो प्रथा ऊ(गः) महाशा -है। प्राचीन छेदन शाम कुचल जाने प्रनिति में इसका पान उपयोग होता को परिमाया में उपरोल्लिखिर शिस का वह है। ( डाइमॉक) भाग जो या संकार हदय को और तथा नोट-देव--सूरन श्राएरन सिपेटिकम् उसने ार जाका असंख्य शान्वयों में विभाजित ( Attun sylvatieum,Bh. ) या होता है। सुपीरियर वेना केवा ( Supal. सिनैन्येरिस सिटिका ( Synanther- rior. vena cava ) jas sylvatica, Schol. ). टिप्पणी-प्राचीन हकीमलांग चूँ कि शिरात्रों अनोवान ajowall-च० अजवाइन । Car- | का उद्गम यका से मानते थे । श्रस्तु, वे शिरा (ptychotis ) Ajowan, D. C. i के उस भाग को जो यकृत के उनमोदर भाग से अजोवान ॲइल ajovan oil निकल कर व उदरमण्यस्थ पेशी को छेदन कर अजोवान आलियम ajowan olt:lum-ले० । ऊपर हृदय की ओर जाता है ऊबंगामहाशिरा यानी तेल । देखो-अजवाइन । श्रार्थात "जौफ़ साइद या अौफ़ फोक्रानी" जो ajonfl-अ०( बहु. ५०), जौफ़ (ए.. कहते हैं। इसके प्रतिकूल शिरा के उस भाग व ) शाहिदक अर्थ जोकदार या खोखली । को जो यकृत से निम्नभाग की ओर उदर में वस्तु; किन्तु छेदन साख को परिभाषा में उस घड़ी पृष्ठकशेरुका के समान्तर पे तक जाता है नलीदार शिस को कहते हैं जो यकृत के उन्नतोदर अधोग.महाशिरा अर्थात् “अजौफ नाज़िल या भाग से निकलकाजोफसाइद वा नाजिल अजौफ़ तह तानी" कहते है। परन्तु अर्यामीन दो भागों में विभाजित होती है। महाशिप योरोपीय डाक्टरगर कि शरीरस्य समस्त -हि. | ( Vena cava) शिरात्रों का अन्त हृदय के दाहिने ग्राहक को नोट-पाहब कुस्तासुल निम्बा अजौफ को में मानते हैं । अतः उनके वर्णनानुसार उपयुक उदर तथा योनि के लिए भी प्रयोग में लाते हैं दोनों शिराओं, यथा-"अजौफ़ साइद और अनौफअगला ajoufaraala श्र. देखो-- अतोक नाज़िल" का समवे। निम्नमहाशिरा अजौफ़ स इद । ( Suprior Vena ! (Inferior vena cava) ही में होता ca.va). है।शिरा सम्बन्धी अर्धा वीन डाक्टरी मत तथा अजीफ़ तह तानो ajoufa-tahtani-० प्राचीन वैद्यक मत के लिए देखिए "शिरा' । देखो-अजीफ़ नाज़िल ( Inferior vena | अम ajambha-सं० वि०,०वि० ('oo. cava ). ___thless) दंतहीन । अजौफ़ नाज़िन ajo:fa-nāzil-अ. अजौफ | अजंभ: ajambhah-सं० पु. (A frog) For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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