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प्रजक
अजमली.
आजको
ajalkarnah
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है, इससे इसमें वेदा की वृद्धि होती है। मा० श्रजकर्णकः janka.!12 alka h
निक नेत्रदृष्टिगत रो० निदा० । टेरीजियम् श्रजकर्णक jakalink:-4. संज्ञा पु.
Preyginn-इं० । नाखुनह, नारवूनह, बकरा के कर्ण के समान पत्र-वाला शालवृत -alo ज फरह , जफरह-या। विशेर, असन । १० मा० । यालमर्ज । रना। अजका ailmaqub-० वामनी । बभनी । इसका प्रसिद्ध नाम पीतशाल है। (Indian (A let tails lizay) kina tya) भासन, विजयपार साल का नाका aji.kashi-सं. नी. नीलीवृत, नील पेड़-हिं । श्रारना, पियामाल-०
. ( Indigol.1 tinctoria, Line.) गुण-कटु, मित्र, कपाय, उणवीर्य, का
निधन पाण्डु, कर्णरोग, प्रमेह, कुट, विष विकार तथा अजीक Anjak his:-अ० छा (A onll) श्रण-नारांक हैं। मा०पू०मा० वटा ३०। शाग jagil-.. सई. म.रमों, सर्पप,(in(Hal tri) सर्ज वृक्ष, साग्व । ग.
निp is tichotoma) . • २० । महास नर, शाल का एक भेद है। अजगर ....!! - fho.संज्ञा प... [सं.]
महामालवृद। सु०स०३८, गंगः डा . IITH SAnt, th: bot com.. आजकसाशाल •njakalna.shala-f: संज्ञा victosकरी निगलने राला कंच, बहन
The walint (Shorn rohtun मोटी जाति का मजा अारने सरीर के भारीपन Sta, certn.) साल, माव। . . ... के कारण पुरती से इधर उधर डोल नहीं सकता saja ka omato "9-( Sciofulous
और यकी नथा हिरन बरे पानीको निगल discist of the goat) अजागलस्तन · ..
.. जाना है । और य में के समान इसमें विप नहीं (अकरे का गलगण्डरोग)। देखा-गल स्तन ।
होना । यह संग अपनी स्थजना र नियमा ...२ छाग पुरीष, लेंडी ( Mats iduny)
के लिए प्रसिद्ध है। ३-( A young shc.goint)ो अगा : jitali-सं० पु. सर्प विशेष, शुक्र कुछ ताँबे के से रंग का, पिच्छिल, रकवावी, .
· श्रचार janसंज्ञा पुं बहुन मोटा
. साँप । A larg. 5.1 : IIT ( Bon (20कुछ नाँबे के से रंग की फुमियों में युक्त,
mstrictor) whmisairl to:51. अत्यन्त वेदना सहित बकरी की मंगनी के सह ॐच और कृष्ण वर्ण का होता है, उसे श्राजका।
loti goril: । मद, १२ । १०६.। विले.
शय(अर्धात् विल में रहने वाला) भग विशेष । करते हैं। ग्रह रन से उत्पन्न होता है। और "श्रसाध्य भी है। वा० उ० १० अ०। (५) .
पा --शंयुः, बाहनः, । (१०)। यह अर्श शु, तुलसी (Ocimum album,Linm.)
( वासीर) में हिनकही है । सु. म. ४६
. श्र०। .. इं० मे० मे.
अजगल ajilalit-दे० अनागल । अजका जान ajakijatal-foto मजा प. अजगलिका jasgalika-हिं० संमा स्ना० अजकाजातम् n.jaki.jatan.:सं०ी०..... जगलिका javalliki.सं. स्त्री०
भाग्य में होने वाली लाल फली जो पुतली को : अजगली .jaya.lli-सं० स्त्री . ढक लेनी है। टेंट वा छड़ । नाखूना । चक्षु बर्बरी वृक्ष, वनतुलसी । बाबुद्द तुलसी-बं० ।
तारा में होने वाला रोग विशेष । काले भाग में . ( Ocimum aham, Tinm. ) भा० बकरी की सूखी लेडी के समान पीडायुक लालपू मी० प० । शुद्ररोगाम्तर्गत बालरोंग तथा गादे आँसुओं को बहाने वाली शुक्रं (फली) विशेष । यह कफ बान जन्य होता है। वा० उ. की वृद्धि होती है उसको अजका जात नानक शुक्र ३ अ०। बालकों के चिकनी, शरीर के समान जानना चाहिए। यह तृतीय त्वचा में प्राप्त होनी वर्ण की, गीली, पीडा रहित, मूंग के दाने के
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