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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir / अडि नामकः,-नामन् १९२ अचलेश्वरः दमनक वृक्ष ( Artemisia indica, ! - mountain पर्वत । (२)A iolt or Pld.). pill शंकु । संज्ञा पुन चलने वाला। अति नामकः,-नामन् aughri.hamaka hi, -अचलकोला : Jultkila-सं० रा. (CRI__laimit]}-सं० पु. १-( Authemjsia. th ) पृथ्वी। : indica) दमनक वृत्त । २-(The Root, अचल स्विट (-) chalit trit,sha of a tat) वृत् मूल, जड़। 1. नि० सं० पुं० कोकिल, कोइल (Aackon) व०२। अम! अचल सन्धि ith all sil turthi-सं०, हिं० अधिप: anghripah-सं० ० (A Tre::) स्त्री० अचाट मंधि, स्थिर संधि, सन्धियाँ जिनमें अंदि,प, पेड़, दरस्त, वृक्ष । ग० नि० घ. २॥ गति असम्भव है। जैसे दानी पाश्विकास्थियों के बीच की संधि । इम्मवेबल जाइरंट [m. अचि पर्णिका anghri-painikā) --सं० लां० DIOVIUle joint, Am Synaralegrianghri-parní : 1 (Doolia throsis-ई । Ingoportioities) पृश्निपरी । चाकुलिया। मसिल्स.ाधित, ममिल मुवस स क -बं० ! भा०पू०१ भा० गु०३० । -अ०। अबिना nghli-bali संस्त्रो० पृश्निपणी नाट–() श्रधाहन्वास्थि और शंखास्थि की " (Hemiouites cordifoliu) संधि को छोड़कर कर्पर की शेष सन्धियाँ स्थिर अघिल्लिः, का anghrivallih,-ki ] -सं० अङ्क्षिवल्लीanghrivalli ) ना (२) अचल संधियाँ तीन प्रकारको होती है:( Urariit Lagopoicios, !). ) १--दरजवाला जाड़ ( मधिल नद्ज़, पृश्निपणी । चाकुलिया-वं० । अ० टी० २०।। मसिल तीही) जैसे कपान की अस्थियों । अधिपः aughrishah-सं० पु. उक्र नाम का २-कील नुमा, गड़ा हुअा जो (मसिल महत, तालु रोग । देखो-अध्रुषः (Adhunshi h) मनिल निस्मारी) जैसे दन्त और हनु की सन्धिः alehristlithi}h - । संधि । ३-नलिकाकार सन्धि (मसिल शक्ती, अति कन्धः ।.1ghri-skuldhah |सं० पं. मग्मिल मीज़ादी) जैसे जतूकास्थि और नासा. श्रद्धयःunghyah-सं०प० गुल्फ, । वंशास्थि की सन्धि । इनके अंगरंजी गाम क्रमश: . पादगुल्फ, गद्दा-हि. 1 हे० च० । 'The | इस प्रकार है:-(१) म्युचर (Sutre.), linkle (Malleolus), पायेर गोडालि ! (२) कम्फोसिस ( Couphosis ), (३) -व । स्कैरिडलेसिस (Scholysis) अचण्ड Achiindas - सं०. सुसुम । अचला hali संक स्त्रांक अचता achatar रा लाल कोईपुरा-सिलहट । | अचला कोताchaalikini | अचला कोनाchali-kila j पृथ्वी (The मे० मो०। Carth.) श्रचर achatra-हिं० वि० [सं०] ( In- | अचला achalijit हिं० संज्ञा प'. इटिया मै. movable) न चलने वाला। जड़ । स्थावर । क्रोफाइला Itea macroplaylla. . संज्ञा पं. न चलने वाला पदार्थ । जड़ पदार्थ । अचलेश्वरः achaileshvaraji-सं० ० स्थावर द्रन्य। एक योग जिससे वृद्धता नष्ट होता है। आचरणा charani-संस्त्री० वह योनि जो पाराभस्म, शुन्छ गन्धक, त्रिफला और गुग्गुल मैथुनके समय पुरुषसे प्रथम स्वलित हो जाती है। इन सबको समान भाग लेकर बारीक चूर्ण करके अचल ivchula-हि० वि० ( Innovable) एरण्ड के बल के साथ राज चार्ट। इस प्रकार . स्थिर ।-11 पु, लः-सं० पु. (1) A ६ महीने सेवन करने से वृद्धता दर होता For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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