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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अङ्ग बहिर्नायनी दीर्घा १२४ ऐरुडक्टर पलिसिस ( Abductor poll- अङ्ग ठावनीपेशी angushthavarttani. icis )-ई। अज़लह, मुबइ.इदह अस .peshi-हि.न. (Abductor pojliबइयह--अ०। cis) अगूठे को लपेटने वाली पेशी । अङ्ग उयहि यनी दीर्घा augushtha-ba hir- अङ्गष्टयः angushthyah-सं० पु. (The nayani-dirgha--सं. स्त्री० अङ्गुष्ठ को . thumb-ilail) अंगूठा का नाखून । बाहर अर्थात् शरीर की मध्य रेखा से दूर ले जाने अष्ट्र angi--उ०प० स०अंगन । (Fraxills वाली दीर्घ पेशी। एन्डक्टर पॉलिसिस लॉगस । floribunda Wall.) मेम। (Abductor pollicis longus )-ko! प्रहरangira-ह. संज्ञा प.फा०,०। (1) अजलह मुबह इदाह असवह यह तवील-अक। दाक, दास-नह। अगर, डाक-द०। संस्कृत प्रा.प्ठ बहिर्नायनो ह्रस्वा ungus htha पर्याय-कृष्णा, चारफला (ज), रसा (शब्दर०), bahirnayaní-hrasvá-fo to मुहीका, गोरतनी, स्वाद्वी, मधुरसा (०), अगर को बाहर ( शरीर को मध्य रेखा से यमनी (शब्दमा०), प्रियाला, तापसप्रिया, दूर) लेजाने वाली इस्त्र पेशी। ऐठडक्टर पोलि गुच्छफला, रसाला, अमृतफरला, स्वादुफला, हारfame after (Abiluetor pollicis brevis)-१०। अजलह मुबइ इदहे अङ्गश्त हूरा, दाता, फलोत्तमा और सुफला सं० । सगीरह-०। दारणा, प्रांगुर-बं । इनव, अनय-अ० । प्राप्ठ सङ्कोचनी angushtha-sanko. . प्रोज़म--तुर० । वाइटिस बाइनिफेरा Vitis chani-सं. स्त्री गुरु को सिकोड़ने । vinifera,linr. (Fruits of grapes) वाली (मोड़ने या भुकानेवाली) पेशी । फ्लेक्सर -ले० । प्रेप वाइन Grape-vine, पॉलिसिस ( Flexor pollicis)-ई। प्रेप (iraps', वाइन Vine (try of-) प्रा. सङ्कोचनी दीर्घा angushtha-san- , - fazant #fazat Vigne, Cultivce kochinidirgha-सं. स्त्रो अगुष्ठ को . -फ्रां० । पडलीवीनरीबी Edleweii.rebe , मोड़ने साली दीर्घ पेशी। फ्लेक्सर पालिसिस . रोजीनेन Rosine:: जर० । दिराक्ष- पज़म, लॉगस (Flexor pollicis longus). कोडि-मुन्दिरिप-पजम,दिरा - परम (मो. श०); -₹.1 कोडि महि-ता० । दाह-पंदु, गोस्तिनिपरडु, अाठ सोचनो लम्बो angashthil- ; द्राक्षा-ते० । मुन्तिरिकप-पजम, मुन्तरि-परम sankochani iambi-हिं० स्त्री० पञ्च मुन्तिरिप-पजम (मो0 श०)-मल। (Flexor longus pollicis) लम्बी . द्राती-हर गु (मा. श०), द्राक्षे-कना । अगूठा सिकोड़ने वाली पेशी । द्राक्ष, द्वापो-मह । दाख (मो. श.), द्राक्ष, अङ्ग 8 सङ्कोचनी ह्रस्था ungushtha-san. धाव. मुद्रक-गु० । मुद्र-पलम्, मुद्रका (मा० kochani-hrasta-सं० स्त्री० अगुष्ठ श०)-सिं० । सबीसी, सध्या-सी, या ताति को मोड़ने वाली हस्व पेशी । फ्लेक्सर पालिसिस -वर० । दादा-को। ग्रेविस ( Flexor pollicis brevis ) सूर्यताप या कृत्रिम ताप द्वारा शक किए हुए पक्क अंगूर - मुनका, सूखे अंगूर (काली दाख) श्रत ठाकर्षणी angus hthākaushani -हि० । मुनक्का,-01 गोस्तनी, कपिलद्राक्षा, सं. स्त्री० अंगुष्ट अन्तरनाय नी । एड्डक्टर महीका, कपिलफला, अमृतरसा, दीर्वकला, पालिसिस (Adduetor pollicis)-10 | मधुवली, मधुफला, मधुलि, हरिता, हारहूरा, अज़लह मुकरिबहे गुश्त-अ० सुफला, मबी, हिमोत्तरा, पथिका, हैमवती, शतअष्ठाना angushthani-सं0 स्रो० (१). वीर्या,तथा काश्मीरी (-रिका )-सं० । मोनक्ख, अगुष्ठ । (२)अंगुलित्राणक, अंगुश्ताना | मनेका, सस्का-द्राख्या-बं० । बीब, मवेग, For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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