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अग्निधुद्धिकर
अग्नि प्यासा अग्निवृद्धिकर agni-vriddhikara-सं० पु. करन-स01 कट करन-हि० । नाटा-बं०। (Stomachic.)
(Ciesalpinia Bonilucella, Fleअग्निवेण्डु पाकु agnj.vendupāku-ते. दाद- ming.)(५) सूरगाः (न)-ल! जमीकन्द
मारी, चकवड़, चक्रमर्द (Cassia tora, ! -हि । श्रोल गाल-बं०। (AmorphophLinn.)
allırs campanulat:s, Blume.) अग्निवेन्द्र पाकु agni.vendra-pāku-हिं० प० मु०।
( Ammaniaa Baccifera, Linn.) अग्निशिष - gni-shisha-० नाट का वरछ
अग्निगर्भ-सं० । दादमरी हिं०। फा० ई०३/ नाग, कलिहारी, लांगली । (Gloriosa. - भा०, ५० मे मे01
Suparba, Lin.)। ई० मे. मे। अग्निवेश agni vasha-हिं० संझा पु० [सं.] | अग्निशिपा agai-shishā-स. स्त्रो० (१)
मायुर्वेद के प्राचार्य एक प्राचीन ऋषि का नाम (Amaranthus spinosus, Wild.) जो अग्नि के पुत्र कहे जाते हैं।
! तण्डुलीय, चौलाई । ।२) (Gloriostu अग्निशिख agnishikha-हि० सज्ञा प० । superba ) कलिहारी, (३) चित्रक अग्निशिखम् agnishikhain स. क्लो० ] (Plumn bugo zeylanica.)
Gold (aarum) (1) स्वर्ण, सुवर्ण, अग्नि शुद्धि ngnishuddhi-हि. संज्ञा स्त्री० सोना । रा०नि० २०१३। (२) कुम्भ
[सं.] (1) अग्नि से पवित्र करने की पुष्प-सं। कुसुम वा बरे का फूल । कुसुम क्रिया | प्राग छुपाकर किसी वस्तुको शुद्ध करना। फूल-बं0 | safflower ( Carthaanus
(२) अग्नि-परीक्षा। tinctorins; iinn. ) ( ३ ) कुकुम, |
अग्निशे वरम् agshishekharan-स. को. केशर ।
(Saffron Crocus Sirtivas, Linn.) Saffron (Crocus Sativus, Thinn.) कुकुम, केशा। रा०नि० व. १२ । पुलुम्भ भा० पू०२ भा० । मद० घ० ३। (४) T+7, Safflower (Cartha muis
दीपक । (१)(An arrow) वाण, तीर । tilletorils, I.in.): (३ ) लांगलीवृक्ष अग्निशिखा agni-shii ha-ससोहि संश - सं० । कलिहारी-हिं । ( Gloriosa
खो०। (.) लांगलिका औषधि-सं० । करि Superbil, Finn.) (४) विशल्या [-लि ] हारी-हि. (Gloriosa super bal नामक शाक भेद। Lin.) भा० पू० १ भा० गु० व० अग्नि टुत् agni-shtut-हि० से... कलियारी च करियारी नामक पौधा जिसकी ! [रु०] एक प्रकार का यज्ञ जो एक दिन में पूरा जद में विष होता है
होता है। (२) अग्नि की ज्वाला. होता है। यह अग्नि स्टोन यज्ञ का ही संप है। भाग की लपट ।
अग्निष्टोमः agni-shromah-स. पु. अग्निशिखः agnishikhah-स० पु. । ( The moon plant) सोमलता, सोमः
(१)कुकुम, केशर । (Crocus sativus, I सु० चि० २६ अ०। (२) स्वर्ग की कामना Linn.) (Shrub of saffron. )!
से किया जाने वाला एक यज्ञ विशेष । रा०नि० व. १२। (२) लांगलिका वृक्ष अग्निष्ठः agni-shthuh-सं० प० तावा, स। कलिहारी--हिं० । विषलागलिका गाछ
तंडुल आदि अथवा कोई भी शाक प्रादि भूजने -घं० । ( Gloriosa. superba,
का लोह पात्र। Linn.)। रत्ना० (३) कुसुम्भ वृक्ष-स. अग्निवात्ता agni-shvatta-हिं० संज्ञा प.. (Safflower Cartbamus Tinc [सं०] अग्नि-विद्युत प्रादि विद्याओं का torins, Linn.) श० र.। (४) पूति जानने वाला।
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