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[ उत्तरार्धम् ] जी के अर्धांगुल के बराबर होता है । और दो उत्सेधांगुल, भगवान् के अात्मांगल की अपेक्षा एकसौ पाठ अंगल अर्थात् साढ़े चार हाथ के हैं। उन के मत में एक आत्मांगल उत्सेधांगुल के नव भागों में से पांच भाग के बराबर हुआ। और जिनके मत में प्रात्मागुल की अपेक्षा से भगवान् एक सौ बीस अंगल अर्थात् पाच हाथ प्रमाण हैं, उनके मत में एक प्रात्मांगल उत्सेधांगुल के पाँच भागों में से दो भाग अधिक हुआ। इस प्रकार प्रथम मत की अपेक्षा से एक उत्स. धांगुल, भगवान् वर्द्धमान स्वामीजी के अर्द्धात्मांगुल के तुल्य होता है। एक उत्सेधांगल को सहस्र गणा करने से एक प्रमाणांगल होता है। यथा-भरत चक्रवर्ती, प्रमाणांगुल से एक सौ बीस अंगुल प्रमाण ऊंचे थे। क्योंकि इनके आत्मांगुल तथा प्रमाणांगल दोनों अन्यूनाधिक होते हैं । उत्सेधांगल की अपेक्षा से भरत चक्रवर्ती पांच सौ धनुष प्रमाण थे। एक धनु नौ सौ त्रेसठ उत्सेधांगल का होता है। इस गणना से पांच सौ धनुष के अड़तालीस सहस्र उत्सेधांगुल होते हैं । यहां पर शंका हो सकती है कि जब प्रमाणांगुल चार सौ उत्सेधांगुल के बराबर हुआ, तब "पूर्वोक्त उत्सेधांगुल से एक सहस्र गुणाधिक प्रमाणांगुल होता है" यह कथन किस प्रकार से ठीक हो सकता है ? इसका उत्तर यह है कि एक प्रमाणांगुल ढाई अंगुल प्रमाण मोटा है । सो जब वह मोटाई में यथावस्थित होता है, तब चार सौ गुणा ही होता है। क्योंकि उत्सेधांगुल मोटाई को चार सौ रूप दीर्घपणे के साथ गुणा करने पर एक अंगुल विष्कभ तथा एक हजार अंगुल विष्कम तथ! एक हजार अंगुल दीर्घ प्रमाण को सूचि सिद्ध हुई । पुनः ढाई अंगुल विष्कम्भ प्रमाणां गुल की तीन श्रेणियां कल्पित करने पर पहली एक अंगुल विष्कम्भ चार सौ अंगुल की श्रेणि हुई। दूसरी भी इतनी ही है । और तीसरी श्रोणि अर्दोगुल विष्कम्भ है। इसलिये दो सो अंगुल प्रमाण दीर्घ हुई । सो तीनों मिल कर एक हजार अंगुल हुई । इसमें से एक उत्सेधां. गुल विष्कम्भ तथा सहस्र सत्सेधांगुल दीर्घ की सूची सिद्ध हुई। अतः इस गणना की अपेक्षा से उत्सेधांगुल से एक हजार गुणा प्रमाणांगल होगया है। परन्तु वास्तव में चारसौ गुणा ही बड़ा है । इसी का नाम 'विभागनिष्पन्नक्षेत्र प्रमाण' है। अब आगे काल प्रमाण' का विवरण करते हैं
अक काल का विषय । से किंतं कालप्पमाणे?, २ दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पएस
* 'से' शब्द मागधी भाषा में 'अर्थ' शब्द के अर्थ में आता है, 'किं' शब्द प्रश्न के अर्थ में आता है और 'त' शब्द पूर्व सम्बन्धार्थ में आता है।
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