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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org “श्रीजैनागम प्रकाशक मण्डल” जौहरी बाजार श्रागरा । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसार में आज कल प्रायः सभी सम्प्रदायों का साहित्य बड़ी उत्तमता, सुन्दरता और विशालता के साथ प्रकाशित होकर जनता में अपना-अपना प्रचार कर रहा है। धर्म-प्रचार के सब साधनों में से आजकल सिर्फ उच्च कोटि का साहित्य प्रकाशित करना ही सर्व श्रेष्ठ साधन गिना जाता है। ज्ञातव्य-ज्ञातव्य बातों से भरा हुआ, सर्वाङ्गपूर्ण, एक से एक नयनाभिराम और बहुज्ञों द्वारा सम्पादित करा कर आजकल जैसा विशाल साहित्य अन्य समाज की सुदृढ़ संस्थाएं कर रही हैं, • उसे देख कर हमें चकित रह जाना पड़ता है । जैन समाज में ऐसी संस्थाओं का सर्वथा अभाव देखकर हमें बड़ा खेद खिन्न और लज्जित होना पड़ता है और धर्मप्रचार के कामों में अन्य समाजों के सामने हमें अपनी कमी अनुभव में आती है। इसी बात को महसूस करके हम ने उक्त नाम की संस्था की नींव डाली है। तदनुसार उस को देख रेख से निम्न लिखित छोटे, पर अच्छे पुराने ढंग के, पर नये रूपसे तीन ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं १ - " उवएस - रयण-माला” २- "जीव-विचार" ३ – “समस्या पूर्ति - सुमनमाला” उक्त तीनों प्रन्थ सुन्दर कागज पर काफा संशोधन पूर्वक नये टाईपों में छापे गए हैं । पहिला संस्करण प्रायः समाप्त होने को आया। प्रत्येक जैन साहित्य को. प्रकाशित कराने वाले अनुरागी बन्धुओं से निवेदन है कि आप जो भी ग्रन्थ प्रकाशित करावें वह इस मण्डल की देख रेख के नोचे प्रकाशित करावें । अब तक इस मण्डल की देख रेख में दो तीन यह साधारण ग्रन्थ ही प्रकाशित हो सके थे । परन्तु अब इस मण्डल ने जैन सूत्रों को प्रकाशित कराने का काम अपने हाथ में लेकर सब से प्रथम उपाध्यायजी श्री आत्मारामजी महाराज का अनुवाद किया "श्रीदशवैकालिकसूत्र” को प्रकाशित कराने का काम अपने हाथ में लिया आधे से अधिक छप चुका है। यह सूत्र किस रंग ढंग से प्रकाशित हो रहा उस का थोड़ा सा ज्ञान तो पाठकों को नीचे के विज्ञान से हो जायेगा और पूरा परिचय जब पाठकों के हाथ में पहुँचेगा तब मिलेगा । निवेदक:पद्मसिंह जैन व्यवस्थापक- "श्री जैनागमप्रकाशक मण्डल". जौहरी बाजार, आग । For Private and Personal Use Only
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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