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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org १८८ [ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम् ] पदार्थ - ( से किं तं * श्रोत्रम् ? ) उपमान प्रमाण किसे कहते हैं ? (ओत्र मे ) जिन सदृश वस्तुओं का परिमाण परस्पर तुल्य कर के दिखलाया जाय उसे उपमा कहते हैं और जिस में उपमा का भाव हा उसे औपम्य-उपमान जानना चाहिये, और वह (वि) दो प्रकार से प्रतिपादन किया गया, (तं जहा ) से कि(सामाणी ) साधर्म्यापनीत और (हम्मात्र सोए अ ) वैधम्र्योपनोत । ( से किं तं साहम्नोत्रणीए ? ) साधम्योपनीत किसे कहते हैं ? ( साहम्मोन बोए: जिन पदार्थों को साधम्यता -संजातीयता उपमा के द्वारा सिद्ध की जाय उसे साधयोनीत कहते हैं, और वह (तिहि परणचे) तॉन प्रकार से प्रतिपादन किया गया है। ( तं जहा - ) जैसे कि - ( किंचिसाहम्मात्रीए ) किंचित्साम्यपनोत ( पायसाहम्मीणीए) प्रायः साधर्म्यापनोत और (ससाहम्मोत्रणीए ) सर्वसाम्यापनीत | (से किं तं किं चसाहम्मोवणीए ? ) किंचित्साचन्यापनीत किसे कहते हैं ? (किंांच साहम्पोवणीए) किंचित्साधम्र्म्यापनात उसे कहते है जिसमें किंचिन्मात्र साधर्म्यता पाई जाय, जैसे कि - ( जहा मंदो) जिस प्रकार +मन्दर है ( तहा सरिसवा) उसी प्रकार सरसों है, और (जहा सरिसवो तहा मंद) जैसे सरसों है उसी प्रकार मन्दर है, (जहा समुद्दो) जिस प्रकार समुद्र है ( तहा गोप्ययं ) उसी प्रकार गोष्पद - आखात है, ( जहा गोप्ययं ) जिस प्रकार गोष्पद हैं ( तहा समुद्दो) उसी प्रकार समुद्र हैं; तथा-( जहा श्राइवी तहा खजातो) जिस प्रकार आदित्य - सूर्य है, (तहा खजाता ) उसी प्रकार खद्योत -- पटवीजना है ( जहा खजाती तहा इच्चा ) जैसे खद्योत है वैसे ही सूर्य है, अथवा ( जहा चंदो तहा कुमुदा ) जिस प्रकार चन्द्रमा है उसी प्रकार कमल हैं, और ( जहा कुमुदो तहा चंदा, ) जैसे कमल है वैसे हो चन्द्रमा है, (सेत किचितादम्माणए ।) यही किंचित्साधयेोपनीत है । ( से किं तं पायसाहमात्र ? ) प्रायः नाधम्यापनीत किसे कहते हैं ? (पायसाहम्मोवीए ) जो सब प्रकार से साम्यता रक्खे लेकिन किसी में भेद हा जाय, वही Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir * उपमीयते--पदृशतया वस्तु गृह्यते श्रनेनेत्युपमा सैौपम्यम् । + पहाड़ या मेरु पर्वत । + क्योंकि दोनों ही मूर्तिमान् हैं। यद्यपि उनके परस्पर बहुत भेद हैं तथापि मूर्तिमत्र में साम्यता है । + अर्थात दोनों ही जलाशय रूप हैं ' + क्योंकि दोनों ही श्राकाशगामी और प्रकाशक हैं । x अर्थात चन्द्र और कुमुद दोनों ही शुक्ल । For Private and Personal Use Only
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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