SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 155
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५० [ श्रीमदनुयोगद्वारसूत्रम्] सेढीणं विक्खम्भसूई बेछप्पण्णंगुलसयवग्गपलिभागो पयरस्स, मुक्कल्लया जहा ओहिया ओरालिया तहा भाणियव्वा, आहारगसरीरा जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा, तयगकम्मगसरीरा जहा एऐसिं चेव वेउव्वियसरीरा तहा भाणियव्वा, वेमाणियाणं भंते ! कवइया ओरालियसरीरा पण्णत्ता ? गोयमा ! जहा नेरइयाणं तहा भाणियव्वा, वेमाणिप्राणं भंते ! केवइया वेउव्वियसरीरा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-बदल्लया य मुक्कल्लया य, तत्थ णं जे ते बद्ध ल्लयो तेणं असंखिज्जा असंखेज्जाहि उस्सप्पिणीओसप्पिणीहि अवहीरंति कालो खेत्तो असंखेज्जाओ सेढीओ पयरस्स असंखेज्जइभागो तासिणं सेढीणं विक्खम्भसूई अंगुलबीयवग्गमूलं तइयवग्गमूलपडुप्पण्णं अहव णं अंगुलतइयवग्गमूलं घणप्पमाणमेत्ताओ सेढोओ, मुक्कल्लया जहा ओहिया ओरालि आणं तहा भाणियव्वा, आहारगसरोरा जहा नेरइयाणं, ते अगकम्मगसरीरा जहा एएसि चेव वेउव्वियसरीरा तहा भाणियव्या, से तं सुहुमे खेत्तपलिओवमे, से तं खेत्तपलिअोवमे, से तं विभागनिप्फरणे, से तं कालप्पमाणे । (सू०१४५) पदार्थ-(मणु-साणं भंते ! केवइया ओगलि यसरीग पएणता ? ) हे भगवन् ! * मनुष्यों के औदारिक शरीर कितने प्रकार से प्रतिपादन किये गये हैं ? (गोयमा ! * मनुष्यों के दो भेद हैं, संमच्छिम और गर्भन । स्त्री श्रादि के गर्भ से उत्पन्न होने वाले को गर्भन' और वातपिशादि से उ पत्र होने वाले को 'संच्छिम' कहते हैं । गर्भन संख्येय और समूच्छिम उत्कृष्ट से असंख्येय होते हैं। For Private and Personal Use Only
SR No.020052
Book TitleAnuyogdwar Sutram Uttararddh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherMurarilalji Charndasji Jain
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy