________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - एकत्रिंशत्तम अनुयोगद्वार सूत्र चतुर्थ मूल परमाणुपोग्गला अणाणयुदी दुपएसिया अबाव्वए, अहवा तिपएसिया परमाणु पोग्गला आणुगुब्बीय अगाणुयुब्बीय. अहवा तिपएसियाय दुपएसियाय आणुपुबीए अवत्तव्यएय, अहा परमाणु पगलाय दुपसियाय आणुपुब्बीय अवत्तव्यय,अहवा तिपदेसिए परमाणुनालेय दुसिएप आपपुलीय अणाणपुवीय अवतव्यएय. से तं संगहस्त भगोबसाया // 43 // से किं तं संगहस्स समोयारे ? संगहस्स समोयारे संगहस्स आणुगुब्बी दव्बाई कहि समोयरंति ? किं आणुपुची दव्येहि समोयरति, अणाणुपुची दब्बेहि समोयरंति, अवत्तव्य दध्वेहि समोयति ? संगहस्स आणुपुब्धी दवाई आणुपुवी दव्वेहि समोयरंति नो अणाण१० त्रिमदेशिक अनुपूर्ती परमाणु पुद्गल अनानुपूर्वी. द्विपदेशिक अवक्तव्य, अथवा विदेशिक परमाण पुद्गल को आनुपूर्वी अनानुपी, त्रिमदेशिक द्विपदेशिको आनएवी अवक्तव्य, परमाणु पुगुल द्विादेशिक -3 को अनानुपूर्वी अपक्तव्य और त्रिप्रदेशिक, द्विषदेशिक व परमाणु पुद्गल को आनुपी अनानपूर्वी व अवक्तव्य. यह संग्रह नय की अपेक्षा से भंगोपदर्शन हुवा ! 43 // अहो भगवन् ! संग्रह नय के मत से समवतार किसे कहते हैं ? संग्रह नय के मत से आनुपूर्वी ट्रय कहां समवतरते हैं ? क्या आनुपूर्वी / द्रव्य से, क्या अनानपूर्वी द्रव्य से या क्या अक्क्तच्य से समवतरते हैं? अहो शिष्य ! संग्रह नय के 38803> अनुपावधि का द्रव्यानपूर्वी 4888 136 For Private and Personal Use Only