________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 498 एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र चतुर्थ मूल -*-%82 अंतरं कालओ केवच्चिरं होई ? एगं दव्वं पडुच्च जहन्नेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अणंतकालं, णाणा दवाई पडुच्च णत्थि अंतरं // 35 // णेगमववहाराणं आणुपुब्बी दव्वाइं सेमदव्वाणं कइभागे होजा-किं संखिज्जइ भागे होजा, असंखिज्जइ भागे होजा, संखेज्जेसु भागेसु होजा, असंखेजेसु भागेसु होज्जा ? नो संखिजइ भागे होजा. नो असंखिज्जड भागे होजा. नो संखेजेस भागेम होजा, नियमा असंखजेस भागेसु होज्जा // ममववहाराणं अणाणपुन्वी दव्वाई सेस दव्वाणं कइ भागे होजा-किं संखिजइ भागे होज्जा, असंखिज्जइ भागे होज्जा, संखेजेसु भागेसु होजा, अंतर पडे नहीं. अहो भगवन् ! अबक्तब्य द्रव्य का कितना अंतर होवे ? अहो शिष्य ! आश्री जघन्य एक समय उत्कृष्ट अनंत काल और बहुत द्रव्य आश्री अंतर नहीं होवे // 35 // सातवा भाग द्वार-अहो भगवन् ! नैगम व्यवहार नय के मत से आनुपूर्वी द्रव्य अन्य अनानुपूर्वी व अवक्तव्य द्रव्य में क्या संख्यात भाग में, असंख्यात भाग में, संख्यातवे भाग में व असंख्यातवे भाग में है ? अहो शिष्य ! संख्यात भाग, असंख्यात भाग व संख्यातवे भाग में नहीं होवे परंतु नियमासे असंख्यातवे भाग में होवे. नैगम व्यवहार नय के मत से अनानुपूर्वी अन्य आनुपूर्वी ब अवक्तव्य से क्या संख्यात 498 अणुगम विषय 884880 498 For Private and Personal Use Only