________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अर्थ 3 3 28 * एकत्रिंशत्नम-अनुयोगद्वार सूत्र-चतुर्थमुल नामक दूसरे टोपल में रख दे और जिस द्वीप व समुद्राजस में वहाटप शखला हुवा उतना हा वना फिर उस अनव-14 स्थित टोपले को बना सर सब केकाने से भर एक दोनों द्वीप समुद्रों में रखते जावे. एक दाना र हजावे तब फिर उसे शलाका में रखे यों अनवस्थित के बारे हुवे एकेक दाने कर शलाका को प्रतिपूर्ण भरे. शलाका भराजाधे तब शलाका को उठा कर एक दाना द्वीप में एक समुद्र में यों रखते एक दाना रह नावे वह प्रति शलाका 7 तीसरे टोपळे में रखे, टोपल ही अनवस्थित के बचे हुवे एकेक दाने कर शलाका को भरे औरके बचे हुवे एकेक दाने कर प्रति शलाका को भरे और नति शलाका के एकेक दाने कर महा शलाका को भरे.. यह शलाका चौथा टोपलो भराजावे तब उसे एकांत में रख फिर अनवास्थित कर शलाका को और शलाका कर प्रति शलाका यों भरे वह भी एकान्त में रखे फिर अनवस्थित कर शलाका को भरे. भरा जावे तब उसे भी एकान्त में रख और जिस स्थान वह अनास्थत किया हुवा इस द्वीप समुद्र # जितना बडा अनवास्थित टोपले को बना कर उस मशिखाउ सराव के ने भरे. चारों टोपलों को उठाकर एकान्त लाकर उस में के दाने का ढग लगावे. फिर उस ढगस एक दाना निकाल लेवे तब बेदाने उत्कृष्ट संख्यात प्रमाण होते हैं. जिस रूप उपनिधिक कालानपकी पूर्वानपूर्वी में दिया उतना जानमा यह तीसरे संख्यात कथन हुवा. एक तो संख्या वाचक हान से गिना नहीं जाते हैं इस लिये V, दो को जघन्य संख्याते कहना. दो के ऊपर बत् उत्कृष्ट संख्यात तक के अंक में से एक अंक कमी को मध्यम संख्या कहना अ.गे को उत्कृष्ट संख्यात कहना. अब असंख्याते के ९भेद कहते हैं-ऊपर कहे चारों प्रमाण का विषय 484880 For Private and Personal Use Only