SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 236
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir amaramanawaranan----- 498 एकोत्रिंशत्तम अनुयोगद्वार त्र-चतुर्थ मूळ उकोसेणं चउगसीतिवास सहस्साई, अपज्जत्तय समुच्छिम चउप्पय थायर पंचिंदिय पुच्छा ! गोयमा ! जहन्नेणंवि उकासेणंवि अंतोमुहुत्तं पजत्राय समुच्छिम चउप्पय थलयर पंचिदिय ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसणं चउरासितीवास सहस्साइं अंतोमुहुत्तणाइं गब्भवतिय चउप्पय थलयर पंचिंदिय ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिणिपलिओवमाइं, अपज्जत्तम गम्भवक्कंतिय चउप्पय थलयर पंचिंदिय ? गोयमा ! जहन्नणंवि उक्कोसेणीव अंतोमुहुत्तं, पजत्राग गब्भवतिय चउप्पय थलयर पंचिंदिय ? गोयमा ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उकोसेणं तिणिपलिओवमाइं अंतोमुहुत्तूणाई // उरपरिसप्प थलयर पंचिदिय ? गोयमा ! गर्भज चतुष्पद स्थलचरकी जघन्य उत्कृष्ट अंतर्मुहूर्त की और पर्याप्त गर्भन चतुष्पद स्थ चरकी जघन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट तीन पल्योपा अंतर्मुहर्त कम की उरपरिसर्प स्थलचर की जघन्य अंतर्मुहर्त की उत्कृष्ट क्रोड पूर्व की. समुच्छिम उरपरिसर्प स्थळचर की जघन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट वेतन हजार / की. अपर्याप्त समूछिम उरपरिसर्प स्थल चर की नघन्य उत्कृष्ट अंसमुहूर्त की, पर्याप्त समूचिम उरपरिसर्प की नपन्य अंतर्मुहूर्त की उत्कृष्ट अपम हजार वर्ष में अंतर्मुहूर्त कम की. गर्भज परपरिसर्प स्वलचर की जघन्य अंबईहूर्त की उत्कृष्ट क्रोड पूर्व की. अपर्याप्त गर्भज घरपरि सर्ग थलचर की अन्य अंतर्मुहर्तः wwaamaan w and For Private and Personal Use Only
SR No.020050
Book TitleAnuyogdwar Sutram
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages373
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy