________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी // 34 // असुरकुमाराणं भंते ! केवइयं कालंठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! जहणं दसवास सहस्साई उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं, असुरकुमारीणं भंते ? केवतियं कालं ठिति षण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्ण दसवामसहस्साई, उक्कोसेणं अडपंचमाई पलिओवमाइ // नागकुमारणं भंते! केवतियं कालंठिति पण्णत्ता ? गोयमा! जहण्ण दसवासहस्साइ, उक्कोसे देमूणाई दुणिपलिओवमाई, नागकुमारीणं भंते ! केवइय कालं ठिति पण्णत्ता? गोवमा ! जहण्ण दसवाससहस्साइं, उक्कोसं देसूणं पलिओबम, एवं जहा नागकुमाराणं देवाणं देवीणय सहा जाव थणियकुमाराणं देवाणय देवीणय भाणियध्वं // 35 // पुढवीकाइयाणं भंते ! केवइयं कालंठिइ पण्णत्ता ? वावीस सागरोपमकी उत्कृष्ट तीस सागरोपम की,॥३४॥असुर कुमार देवताकी जघन्य दश हजार वर्षकी उस्कृष्ट कुछ अधिक एक सागरापम की. असुर कुमार की देवी की जयन्य दश हजार वर्ष उत्कृष्ट सादी चार पल्योपम की, नागकुस' देवता की जघन्य दश हजार वर्ष की उत्कृष्ट कुछ कम दो पल्योपम की, नामपार की देवी की 71 हमास्वप उत्कृष्ट कुछ कम एक. पल्यो म. यों जिस प्रकार नागकुमार, देवता की और देवी क स्थात - डी उस हा प्रकार यावत् स्तनित कुमार पर्यन्त देवता की देवी स्थिति कहना. // 35 // पृथ्वीकाया की जघन्य अन्तर्मुहूर्त की उत्कृष्ठ बावीस हजार वर्ष की सूक्ष्म पृथ्वी प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायजी ज्वालासादनी* अर्थ For Private and Personal Use Only