________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्र 488 257 विशत्तम्-अनुयोगद्वार सूत्र-चतुथ प्रल *80 एग पदेसीय सेढी सूई अंगुले, सूईसूइए गुणिआ पत्तर अंगुले, पयर सूईएणिते / धणंगुले // एएसिणं सूई अंगुले पयर अंगुले घणंगुलोणं कयरे 2 हिंतो अप्पेवा बहुएवा तुलेवा विसेसाहिएवा ? सब्बत्थोवे सूई अंगुले, पतरंगुले असंखजगुणे, / घणंगुले असंखजगुणे, सेतं उरसेहअंगुले // 22 // से किं तं प्पमाणंगुले ? पमाणं गुसे ! एगमेगस्सणं रण्णो चाउरंत चकवटिस्स अट्ठसोवण्णए कांगणी रयणे छत्तले है ? अहो शिष्य ? सब से थोडा सूची अंगुल, उस से प्रतर अंगुल असंख्यातगुना और उस से घनांगुल असंख्यातगुना. यह उत्सेध अंगुल प्रमान का कथन हुआ // 22 // अहो भगवन् ! प्रमाणु अंगुल किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! उत्सेध अंगुल से हजार गुना अधिक वह प्रमाण अंगुल तथा प्रकर्ष रूप जिस का प्रमाण सब से बडा हो उसे प्रमाण अंगुल कहीये. वह इस प्रकार होता है तादि क्षेत्र में जब एकेक चक्रवर्ती महारान होते हैं उनको उन यह कांगनी रत्न होता का वजन बार सौनेये भाडोना है. इस कांगर्न जा रफ के चार, ऊपर, नीचे प्रमाण विषय dogge+ 1 1 रती, (गुजा) 8 राति / ॐ नोट 4 मधुर तण फल का एकमाए, 16 समर्ष 6 का 1 मामा 16 मासा, का सीना For Private and Personal Use Only