________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 198 अनुवादक बाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + अर्थ सेणं तत्थ उहओलि लिया ? णो इणटे समटे णो खलु तत्थ सस्थ कमति, सेणं भंते ! गंगाए महाणदी पडिसोयं हव्वमागच्छेदा ? हंता हव्यमागच्छेजा सेणं तत्थ विणिघ तंमावजेज्जा ? नो इणटे समटे णो खलु तत्थ सत्थ कमति, सेणं भंते / उदगावतंवा उदगविंदवा उगाहेजा ? हंता उगाजा ? सेणं तत्थ कुच्छेजवा, परिआवजेजवा ? णो इणटे समटे णो खलु तत्थ सत्थ कमति // (गाहा ) सत्थेण सुतिक्खणवि, छेत्तुं भेत्तुं च जं कीरइ न सका ॥तं परमाणु सिद्धावयंति,आदि / हा शिष्य चला माता हो शिष्य चा माता हैं. अहो भगवन् ! वह वहां मेघ में से जाता हुषा पानी से भीजता है क्या ? अहो गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है. अहो भगवन् ! वह परमाणू गंगा नदी के प्रतिश्रोत में (प्रवाह में ) शीघ्रता से जाता है क्या ? हां शिष्य शिघ्रता से जाता है. अहो भगवन् ! वह परमाणु गंगा नदी के प्रवाह में से जाता हुवा घाव को प्राप्त होता है क्या? अहो शिष्य ! यह अर्थ समर्थ. नहीं. उसे पानो का शस्त्र मी परिममता नहीं है. अहो भगवन् ! वह व्यवहार परमाणू बहुत पानी भरा हो उस में रहता है क्या? हां गौतम ! रहता है. अहो भगतन् !! है वह परमाणु पानी में रहता हु सडता है गलता है क्या ? अहो शिष्प यह अर्थ स्पर्य नहीं हैं. अर्थात गलता सडता नहीं हैं. मतलब की किसी भी प्रकार का शव उस का छेदन भेदन गलन *यकाशक-राजावहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादजी. For Private and Personal Use Only