________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुवादकबालियमचा मुनि श्री अमोलक ऋषिमी। पडनाव परिरसव संसित्ताण दव्वागं ओमाणप्पमाण निवत्तलक्षणं भवति // सेतं आमाणे // 6 // से किंतं गाणमे ? ! जणं गणिजइ-एगो, दस, सयं सहस्स दससहस्साई, सयसहस्सा, दसमयसहस्साई, कोडी, // एते गणिम प्पमाणेणं किं पओयणं ?एएणं गणिमप्पमाणेणं भयंग भित्ति भत्तबयण, आयन्वयं संसियाणं दवाणं गणिम पमाण निवत्त लक्खणं भवति, से तं गणिमे।। 7 // से किं तं पडिमाणे ? पडिमाणे ! जण्णं पडियिजति तंजहा-गुंजा, कांगणी, निप्फावो, प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी ज्वालापसादमी वख भीत कोटादि का प्रमाण की निवृत्ति होती है यह ओमान प्रमाण हुवा // 6 // अहो मगरन् ! गणित प्रमाण किसे कहते हैं? अहो शिष्य ! गणित प्रमाण सो-जिस की संख्या गिनती कीमा यया-एक दश, सौ. हजार. दश हजार. लाख. दशलारब. क्रोड, इत्यादि / अहो भावान ! इस गणित प्रमाण से क्या प्रयोजन है ? अहो शिष्य ! इस गणित प्रपाण कर काम करने वाला भृत्य नौकर को भोजन देकर रखे तथा रूपयादि देक ररखे जिनकी पगारका प्रमाण तथा आश्व्याय का निवृति लक्षण होता है / यह गणित द्रव्य का माण हुवा / / 7 // अहो भगवन् / प्रतिपान प्रमाण किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ? पडिमान प्रमाण सोमवणादि वस्तु का उस के प्रतिरूप वस्तुसे उस का पमान किया जावे For Private and Personal Use Only