________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र चतुर्थ मूल 30 // रोहिणी हिंजाए, 2 रोहिणीए, 3 रोहिणीदिन्ने, 4 रोहिणी धम्मे, 5 रोहिणी सम्मे, 6 रोहणीदेवे, 7 रोहिणी सेण 8 रोहिणी रक्खिए. एवं सब्बणखत्तेसुनामा भाणियव्वा ॥एत्थसंगहणी गाहाओ-१ कत्तिया, 2 रोहणी, 3 मिगसर. 4 अद्दा 5 पुणव्वसुय 6 पुस्सेय, 7 तत्तीय अस्सिलेसा, ९महा, 10 दोफगुणीओ // 1 // हत्थो 12 चिना, 13 साति 14 घिसाहः, 15 तहा होइ अणुराहा ||16 जेट्टी 17 मूला 18 पुवासाढा. 19 तह उत्तराचेव // 2 // 20 अभिइ, 21 सवण, 22 धाणट्ठा, 23 सतभिसया 25 दो हुंनि भद्दवया // 26 रेवइ, २७अस्सिणी, यह आठ नाम कहे. ऐसे ही देशारूढी से कार्तिक नाम पीछे प्रत्यय शब्द लगाते हैं वे सब कार्तिकी नाम जानना. ऐसे ही रोहिणी नक्षत्र के जन्मे की शोहणिक. रोहिणी दिना, रोहिणी धर्म, रोहिणी शर्म. रोहिणी देव, रोहिणी दास, रोहिणी सेन और रोहिणी रक्षित. या आगे भी सब नक्षत्रों के अनुसार नाम कहना. अब सब नक्षत्रों के नाम कहते हैं. 1 कृत्तिका, 2 रोहिणी, 3 मृगशर, 4 आर्द्रा, 5 .6 पुष्य, 7 अश्लेषा, 8 मघा, 9 पूर्वा फालगुनी, 10 उत्तरा फालगुनी. 11 हस्त, 12 चित्रा, 13 स्वाति, 14 विशाखा, 15 अनुराधा, 16 ज्येष्टा, 17 मूल, 18 पूर्वाषाढा, 19 उत्तराषाढा, 20 अभिनित, 21 श्रवण, 22 घनिष्टा, 23 शतभिषा, 24 पूर्वाभद्र पद, 25 उत्तराभद्र, पद, 26 रेवती, 488 नाम विषय 486 188 For Private and Personal Use Only