________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुवादक बाउबमचारी मुनि श्री अमोलक ऋषजी नामे उवसमिए खईए खउवसमै पारिणामिय निम्फन्ने ? उवसंता कसाया, खइयं सम्मत्तं स्वउत्समियाई इंदियाइं, पारिणामिए जी सगं से नामे उवसमिए खईए खउक्समिए पारिणः मिय निप्फन्ने // 126 // तर, जे ले से एगे पंच संजोगं सेणं इमे-, अस्थिणामे उदईर उवसभिए खईए ख समाहिए पारि मिय निष्फन्ने // कयरे से नामे उदईए उवसमिए खईए खउपसमिर पारिणामिर निःपन्ने ? उदइएत्ति मणुस्से, उपसंता कसाया लइयं सम्मत्तं, स्वउवसमियाई इंदिवाई; पारिणामिए जीवे, एसणं से नामे उदई ए, उपसमिए खईए खउवसमिए पारिणामिर पारिणामिक निष्पर नाम कहा गया है. 5 प्रश्न-औपशषिक क्षायिक, क्षयोपशेमिक परिणामिक निष्पन्न नाम कैसे कहा ? उत्तर-उपशांत कषाय, क्षायिक सम्यक्त्व, क्षयोपशम इन्द्रिय की लब्धि व परिणामिक जीव है इस लिये श्रीपश्रमिक क्षायिक क्षयोपशमिक व पारिणामिक नाम कहा // 122 // अब पांच सयोगी भांगा एक बताते हैं-औदषिक औपशामक क्षायिक क्षयोपशमिक व पारणामिक निष्पन है. प्रश्न-ऐसा नाम क्यों कहा ? उचर-उदय में मनुष्य गति, उपशांत कषाय, क्षाषिक सम्ब-1 व. अयोपशम इन्द्रिय सन्धि और पारिणामिक जीव है. इस लिये औदयिक औपशमिक क्षायिक क्षयो-161 प्रकाशक-रानावहादुर लाला मुखदेवसहायजी ज्वालाप्रसादनी For Private and Personal Use Only