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16/अनुसंधान : स्वरूप एवं प्रविधि यहाँ हम संक्षेप में उपर्युक्त सभी अनुसंधान प्रविधियों पर विचार करेंगे
(अ) विषय-सम्बन्धी भेद 1. विभाजनवादी परम्परागत प्रविधि
यह अनुसंधान की वह प्रविधि है, जिसके अनुसार विषय का परीक्षण विभिन्न तत्त्वों के अनुसार उसका विभाजन करके किया जाता है। उदाहरणार्थ, साहित्यिक कृतियों के अनुसंधान में एक परम्परा चली आ रही है कि कृतित्व को शब्द, अर्थ, विषय-सामग्री, रस, रीति, ध्वनि, वक्रोक्ति, औचित्य, अलंकार, काव्यानुभूति आदि में विभाजित करके देखा जाता है और तदनुकूल ही विश्लेषण-विवेचन करके निष्कर्ष निकाले जाते हैं। इस प्रविधि के साथ अन्य प्रविधियों का भी मिश्रण कर दिया जाता है। फलतः समस्त अध्ययन खिचड़ी बन जाता है और निष्कर्षों की प्रामाणिकता पर प्रश्न-चिह्न लग जाता है । हिन्दी साहित्य और भाषिकी तक में इस प्रकार की मिश्रित परम्परावादी विभाजन-प्रविधि बिना सोचे-समझे अपनाई जा रही है।
2. अन्तर्मुख या मानस प्रत्यक्ष प्रविधि
इस प्रविधि के अनुसार कवि और सहृदय के मन में उतर कर उसका मर्म समझना, मानस का प्रत्यक्षीकरण होना आवश्यक है। इस प्रविधि में वैयक्तिकता की प्रधानता रहती है तथा प्रमाण एवं निष्कर्ष प्रायः प्रभावपरक हो जाते हैं। एक ही विषय के अनुसंधान में इस प्रविधि से जब-जब भिन्न-भिन्न विद्वान् प्रवृत्त होते हैं, तब उनके निष्कर्ष भी समान नहीं होते । फलतः कृति का सत्य ही बदल जाता है। या यह कहा जा सकता है कि अविश्वसनीय हो जाता है। 3. दार्शनिक प्रविधि
हिन्दी साहित्य तथा विभिन्न कलाओं के अनुसंधान में दर्शन के आधार पर सत्यान्वेषण की प्रवृत्ति भी चल पड़ी है। इस प्रविधि के अनुसार किसी दर्शन का ढाँचा शोध-विषय पर लागू कर दिया जाता है । दार्शनिक चिन्तन-वृत्त में स्थित होकर किया गया अनुसंधान मूल विषय को एक बाह्य सत्य से आवृत्त कर देता है और कृति का सत्य दबा रह जाता है। उदाहरणार्थ, तुलसी, सूर, पंत, निराला आदि किसी भी कवि के काव्य का अध्ययन करते समय जब किसी दर्शनशास्त्र के सिद्धान्तों को आधार बनाया जाता है , तब कवि की मूल रचना-शक्ति और भाव-प्रक्रिया अछूती रह जाने के अनेक खतरे सामने आते हैं। अनुसंधान की यह प्रविधि भी इस दृष्टि से किसी निर्विवाद सत्य तक नहीं पहुँचाती। 4. मनोविश्लेषण प्रविधि
हिन्दी साहित्य के अनुसंधान में इस प्रविधि का भी पिछले कुछ वर्षों में पर्याप्त प्रयोग हुआ है। यह प्रविधि मनोवैज्ञानिक प्रविधि भी कहलाती है। इस प्रविधि के द्वारा
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