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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग दूषे सारासरीरमैं सूईकासाचभकाहोय येजीमै लक्षण होयतींनैवि सूचिकाकहिजे लोकिकमैईनेवासी कहे येईकाउपद्रवछै नींद नहीं सर्वत्र प्रीती होय सरीरकांपै मूत्ररुकिजाय संज्ञाजा तीरहै येउपद्रवहोइंतौमरिजाय । अथप्रलसको लक्षणलिष्यते पुरषकैविष्टब्धवायका जीर्णसूंयेलक्षणहोय पेटमें
परोहोय प्रांतावोले पचनफिरि वासूंरुकिजाय कूषिमोंफरे म लमूत्रगुदाकोपवनयेरुकिजाय तिसघणीलागे डकारघणीच्या वैजामैयेलक्षणहोयतदिलसजाणिजे २ मथविलंविकाको लक्षगलिष्यते जो भोजनक रह्यो होयसोपचनहीं ऊपरनीचैजा यनहीं वेनेविलंबिकाकेहजे अश्यांतीन्यांही मैयेलक्षणहोयसो मरिजाय दांतजी काकालाहोय होउनष भीकालाहोय संग्याजा तीरहै छादणीला गिजाय नेत्रमांहींयुसीजाय स्वरघांघोहोजाय सरीरकी संग्यासिथल होजाय जीमैयेलक्षण होयतौ मरिजाय प्रथमजीदुरिहुवोहोयतीकालक्षएालिष्यते उकारशड
वे सरीरमें उत्साह होय मलमूत्रपवनकी प्राछीतरेप्रवर्तिहोय सरीरहलकोहोय भूषतिसाठीतरैलागे तदिजाएिजैमजीए दुरिव १ अथमंदाग्निनेआदिलेराजीएविसूचिकाकाज तनलिष्यते हरडेकीछालि सूठि यांनेमिहीवांटिटंक २॥ गुडटक १० कैसाथिजलसूरोजीनांलेतौ श्रामाजी एडरिरुवो रभूषवधै १ अथवा हरडैकी छाल सांधोलू ईकोसेवनरोजीनां करैतो जीजाय भूषवधै २ अथवा सींधोलूए सूंठि कालीमिरचि ये बराबरिले त्यांनैमिहीवांटिटंक २।। गऊकीछाछिकैसार्थिदिन १५ लेतो भूषवधै मंदाग्रिजाय पांडुरोगजाय. बवासीरजाय ३ अथवा
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