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अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग जींकीदेही होय वरजका हाथपगकालाहोय अरपीडानैलीयाऐ सोबालक होय तदिजा पिजेंई कैरेवतीग्रहकोदोषछे ४ अथपू ननाग्रहजीनेंलाग्यो होयत कोलक्षणलि० जीकोशरीरशिय 'लहोय सतिदिन सो नहीं सरकोमलपतलोप डिजाय अरवें काशरीरमैं कागलाकीसीडुरगंधियावे मरछर्दिहांय तिरुपती होय जाकैयेलक्षण होयत दिजाणिजे केपूतनाग्रहलाग्पाले ५ अथजीकेगंधपूतनालाग्यो होयती कोलक्षणलि घोबालक स्तनकोडूधपावैनहीं अरत्र्पतीसारहोय पास हिचकीछादयेभी होय जुरहोय परशरीर कोवर्णजातोरहै अरशरीरमैलाहीकीसी दुरगंधावे तदिजाणिजे कैपूतनाकोदोषछे ६ श्रथसीनपू तनांकादोषको लक्षएालि० वालकरोवोकरै कपीवोकरे अरजकाप्रांत बोलै अरशरीरसिथल होजाय मरम्मतीसारघ लोहोय जीकेयेल क्षराहोयतदिजाणिजे ईकेसीतपूनना कोदोष ७ अथनैगमेयग्रह कादोषको लक्षण लि。जीकैमूंदेफा गावे कांपेघणे चरहसेघों मरऊंचाही देषे अर पुकारैघ प्ररशरीरमंदुरगंधियावे संग्याजातिरहे तदिजाति जैईकै नैगमैयग्रहकोदोषडै ८ वरयेही लक्षएाडा किलिकादो षकाजाशिलीज्यो १० अथसामान्यग्रहांकादोषांकालक्षण. गोर मूंडी षसयांकोकाटोकार ईकाटासूंबालकनैं स्नान करावे अथवा हलद चंदन कूठ यानैवांटिशरीरकेलेपको बालकका सामान्यग्रहकोदोषडूरिहोय' अथवा सांपकीकांचली लक्षण सि रस्यूं नींबकापांन विलाईकीवीर बकराकाबाल मींटाकोसींग वच सहत येसारावांटि यांकीबालककी धूप देनी बालकका यहाँका
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