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४७९ अमृतसागर नथा प्रनापसागरतरंग २१ सूअरदांना कारिवालागिजाय अरउंचोत्राकाशकानीदेषयो करै अरआपकादानानेंचाधिचोकरै अरकुपाहियोकरैजंभाई लेवोकरै अरभंवाराचटाचोकरै होउकारियोकरे अरमूंटेजाग प्रायोकरै अरवमनकरवोकरै अरअतीसारयुक्तभीहोय अरमें कोशरीरपीएपडिजाय पररातिनैजागेअरशरीरकैसोईयायजा य अरकंठकोसुरघांघोहोय अरकाशरीरमैंमांडलाकीसीबुर गंधिप्रावैजीकोशरीरहर्बलपरमेलोहोजाय अरसारीसंज्ञाजा तीरहै येलक्षणजीबालकमैहोयतीनेजाणिजेबालग्रहलाग्यो येबालग्रहकासामान्यलक्षण । अथवालग्रहजीनैलाग्यो होयतीकोविशेषलक्षरालिजीकाअंगसिथलहोय अरजी काशशरमैलोहीकीडरगंधिशावै अरस्तनांकोइधपीनहीं पर मूंटोयांकोहोजाय अराधोप्रांगरहजाय अरनेवांमै रहै रोपेथोडो हाथकारीबंधीरहै येजीमैंलक्षणहोयनदिजाणि जैईनेस्कंदयहलाग्यौछै १ अथविशाषग्रह नैलाग्योहो यतीकोलक्षरालि जांकीसंज्ञाजानीरहै अरफोरसंज्ञाआय जाय अरकदेकहाथपगानबावलागिजाय अरमलमूत्र विनासंग्याहीकरिदेअरजंभाईयणीमावै मूंटेगागा नदि जाणिजेईविशापयहलाग्योछै२ अथशकुनीग्रहजीनैलाग्यो होयतीकोलक्षालि-अंगसिथलरहै भयकारचकितरहवो करै थरकाशरीरमेंमांडीकासीहरगंधिआवेअरशरीरमैंबण घणापडिजाय अरशरीरमैंदाहहोय लक्षगजामैहोय नदिजा लिजेशकुनीग्रहलाग्योछे ३ अथरवतीयहजानैलाग्योहो यतीकोलारलिजीको दोलाल अरहस्योहोय अरपीली
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